जन इंडिया पंकज पाराशर
छतरपुर। बुंदेलखंड में दिग्गज जनता की समस्याओं को बुलाकर अब रेत के खेल में मस्त हैं l छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी को छतरपुर में बिधानसभा चुनावो से पूर्व ससम्मान और आत्मिक तौर पर पज्जन चाचा और पज्जन भैया के नाम से संबोधित किया जाता था, यही संबोधन आलोक चतुर्वेदी को छतरपुर जिले की राजनीति में सबसे अलग और जनप्रिय जननायक की छबि से अलंकृत किये रहता था परंतु बिधानसभा चुनावो के बाद पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के समय रेत के खेल में शामिल भाजपाई नेताओं की भांति छतरपुर जिले में बहनें बाली कैन नदी के रेतघाट अब कांग्रेस नेताओं के तथाकथित सिंडीकेट बनाये जाने की अपुष्ट खबरों के बीच आये दिन आलोक चतुर्वेदी का नाम फिर सामने आने लगा हैं।
पूर्व में इंदौर की बहुचर्चित कंपनी में पार्टनर होकर रेत का व्यापार करते रहे अब विधायकी की दम पर प्रशासन को आईना दिखाते हुए अपने करीबियों से केन नदी के सीने पर खंजर घोप कर व्यापार कर रहे हैं
आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी पर विधायक की करतूतों का भारी फर्क देखने को मिलेगा l ऐसा नहीं कि रेत के इस खेल में बह अकेले ही हो उनके साथ बड़ामलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी एवं महाराजपुर विधायक नीरज दीक्षित का नाम भी लिया जाता है।
कहा जाता है कि पुलिस प्रशासन अपने स्तर पर रेत के अबैध उत्खनन को रोकने के लिए कोशिश और कार्यबाही करता भी है तो राजनैतिक दबाव और अनावश्यक बिबाद होने की आशंका के कारण पुलिस प्रशासन चाहकर भी ठोस कार्रवाई नहीं कर पाता है। ऐसे माहौल में कांग्रेस को दो तरफा नुकसान हो रहा है भाजपा और कांग्रेस सरकार के बीच रेत माफिया की निरंकुशता पर लगाम नहीं लगा पाने के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ तथा प्रभारी मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के साथ छबि जन सामान्य के बीच धूमिल हो रही है तथा दिग्गजों के प्रभावशाली और जन प्रिय जननायक की छबि रेत माफिया में तब्दील होती जा रही हैं l जिसका परिणाम है कि जो लोग कल तक आलोक चतुर्वेदी को पज्जन भैया या पज्जन चाचा कहकर संबोधित करते थे अब बह उन्हें विधायक या नेता जी कहने लगें है।