खगोलीय घटना : आज मांद्य चंद्र ग्रहण रात 10:38 बजे होगा शुरू

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भोपाल। शुक्रवार रात 10:38 बजे मांद्य चंद्र ग्रहण शुरू होगा, इसका मध्य 12:40 बजे और मोक्ष रात में 2:42 बजे होगा। इस ग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं है। इस वजह से ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। ग्रहण काल में भी पूजा-पाठ आदि कर्म किए जा सकेंगे।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं। मनीष शर्मा के अनुसार साल 2020 में 4 मांद्य चंद्र ग्रहण होंगे। निर्णय सागर पंचांग के मुताबिक शुक्रवार, 10 जनवरी को लगने वाले ग्रहण का किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं रहेगा। इस साल चारों चंद्र ग्रहण मांद्य रहेंगे। आज पौष मास की पूर्णिमा है। इस तिथि पर स्नान और दान कर्म करने की परंपरा है। मांद्य चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व न होने की वजह से ये सभी पूजन कर्म आज पूरे दिन किए जा सकते हैं।

पिछले 10 साल में 6 बार और 2020 में 4 बार ऐसे ग्रहण
नासा की ग्रहण से संबंधित वेब साइट के मुताबिक पिछले 10 सालों में मांद्य चंद्र ग्रहण 6 बार हुआ है। इस तरह का ग्रहण 2020 में चार बार हो रहा है। 10 जनवरी के बाद 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। 2020 से पहले पिछले 10 सालों में 28 नवंबर 2012, 25 मार्च 2013, 18 अक्टूबर 2013, 23 मार्च 2016, 16 सितंबर 2016 और 11 फरवरी, 2017 को ऐसा चंद्र ग्रहण हो चुका है। 2020 के बाद 5 मई 2023 को फिर से ऐसा ही चंद्र ग्रहण होगा।
चंद्र आगे छाएगी धूल जैसी परत
ये ग्रहण सामान्य ग्रहण की तरह नहीं है। ये आसानी से दिखाई नहीं देगा। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, चंद्र के आगे धूल जैसी एक परत छा जाएगी। इस कारण ज्योतिषीय मत में चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं है। 2020 से पहले ऐसा चंद्र ग्रहण 11 फरवरी 2017 को दिखा था।
कहां-कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण
10 जनवरी की रात होने वाला चंद्र ग्रहण कनाडा, यूएस, ब्राजील, अर्जेंटीना, अंटार्कटिका में नहीं दिखेगा। इनके अलावा भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखेगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखेगा। हिंद महासागर (इंडियन ओशिन) में ग्रहण दिखाई देगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होगा। 12 बजे के बाद अगली तारीख यानी 11 जनवरी लग जाएगी।
विज्ञान की मान्यता के अनुसार क्यों होता है मांद्य चंद्र ग्रहण
जब चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। तब पृथ्वी की वजह से चंद्र पर सूर्य की रोशनी सीधे नहीं पहुंच पाती है और पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जबकि मांद्य चंद्र ग्रहण में चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक ऐसी लाइन में रहते हैं, जहां से पृथ्वी की हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस वजह से मांद्य चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है।
चंद्र पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी
इस ग्रहण में चंद्रमा पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी। राहु एक छाया ग्रह है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में चंद्र पर छाया के रूप में राहु दिखता है, लेकिन इस ग्रहण में छाया नहीं बनेगी। जब छाया ही नहीं पड़ेगी तो राहु के ग्रसने वाली बात भी नहीं होगी। यह ग्रहण केवल उपच्छाया मात्र है। यह केवल उपच्छाया ग्रहण है, जो कि सिर्फ आंख से नहीं दिखेगा। इसलिए इसे ग्रहण कहने के बजाए छाया का समय कहा जाता है।
नहीं लगेगा सूतक, ना होगा कोई असर
इस चंद्र ग्रहण को लेकर किसी तरह से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मांद्य चंद्र ग्रहण के कारण इसमें सूतक काल लागू नहीं होगा। न ही सूतक का प्रारंभ और न ही सूतक का अंत। ज्योतिष के प्रसिद्ध निर्णयसागर पंचांग के अनुसार इस ग्रहण में किसी भी प्रकार का यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं है।

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