
गौरतलब है कि नौ मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘NEET’ को लेकर चल रही सभी शंकाओं को समाप्त करते हुए कहा था कि जो उम्मीदवार नीट 1 में बैठ चुके हैं, वे 24 जुलाई को होने वाली नीट 2 में भी बैठ सकते हैं। लेकिन यह तभी होगा जब वह नीट 1 का परित्याग कर देंगे। दूसरे शब्दों में जो छात्र नीट 1 में बैठने के बाद नीट 2 में बैठेंगे उनकी रैंक और स्कोर नीट 2 के अनुसार तय होगी। कोर्ट ने कहा कि विभिन्न राज्यों द्वारा किए जा रहे कॉमन एंट्रेंस टेस्ट, सेट को अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि नीट केंद्र सरकार का सृजन है इसलिए यह राज्यों के कानून के ऊपर रहेगा।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि हम नीट पर इस बात में कोई कानूनी दिक्कत महसूस नहीं करते कि यह राज्यों और निजी संस्थानों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते। कोर्ट ने कहा कि किसी श्रेणी के लिए आरक्षण नीट की विषयवस्तु नहीं थी, न ही अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर नीट से कोई प्रभाव पड़ रहा है। नीट सिर्फ एमबीबीएस/बीडीएस कोर्सों में दाखिले के लिए पात्रता प्रवेश परीक्षा कराने का प्रावधान करती है इसलिए हमें इस बात पर कोई दम नजर नहीं आता कि 28 अप्रैल के आदेश में कोई तब्दीली की जाए।
ये है पूरा मामला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नीट मामले की गहन सुनवाई के बाद हाल ही में देशभर में एक ही मेडिकल एंट्रेस टेस्ट लागू करने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद नीट के पहले चरण की परीक्षा एक मई को हुई थी, जिसमें करीब 6.5 लाख स्टूडेंट्स देशभर से शामिल हुए थे। जबकि दूसरे चरण की परीक्षा 24 जुलाई को होना है।
विवाद इसलिए
अभी कई राज्य अपने मेडिकल एंट्रेस एग्जाम आयोजित करते हैं। मध्यप्रदेश में सरकारी कॉलेज के लिए पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट), जबकि डेंटल व निजी मेडिकल कॉलेज के लिए डीमेट एग्जाम आयोजित किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद डीमेट पर स्वत: ही रोक लग गई थी, पर कई राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की शरण ली थी।
केंद्र-सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने
इस फैसले के बाद जब वित्त मंत्री अरुण जेटली से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका को अपनी सीमाएं पता होना चाहिए। सरकार के कामों में दखल कितना देना है और कितना नहीं, ये न्यायपालिका को पता होना चाहिए।
अब आगे क्या?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नीट पर रोक लगाने के लिए लाए गए अध्यादेश को लेकर पक्ष रखेंगे।