नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को लेकर रिपोर्ट में गवर्नर ने गोहत्या को कारण बताया है। गवर्नर हाउस के बाहर मिथुन गाय की हत्या की फोटो भी लगाई गई है। यह खुलासा गवर्नर जेपी राजखोवा की रिपोर्ट से हुआ है। यह रिपोर्ट बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सबमिट की गई।
अरुणाचल प्रदेश में क्यों लगा राष्ट्रपति शासन और क्या है रिपोर्ट में…
– इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फाइल गवर्नर के वकील सत्या पाल जैन ने कोर्ट में दी है।
– गवर्नर इस रिपोर्ट को कांग्रेस और पार्टी के नेताओं से साझा नहीं करना चाहते थे, क्योंकि वे इस मामले में पिटीशनर्स हैं।
– उन्होंने बताया कि इस बारे में गवर्नर ने पहले भी प्रेसिडेंट और होम मिनिस्ट्री को रिपोटर्स भेजी हैं।
– जैन ने कहा,‘’हम कोर्ट को सारी चीजें दिखाएंगे। हम आपको गोहत्या की फोटोज भी दिखाएंगे। ये तस्वीरें एक रिपोर्ट में हैं।”
– बता दें कि, मिथुन गाय नॉर्थ-ईस्ट इलाके में पाई जाती हैं। इसे स्टेट एनीमल का दर्जा हासिल है।
– बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर से 15 मिनट में प्रेसिडेंट रूल लगाने की सिफारिश करने वाली फाइल देने को कहा था।
आखिर क्यों लगा अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन…
– अरुणाचल में पिछले कई दिनों से राजनीतिक उठापटक चल रही है। कांग्रेस सरकार 42 में से 21 विधायक बागी हो गए हैं।
– 16-17 दिसंबर को सीएम नबाम टुकी के कुछ विधायकों ने बीजेपी के साथ नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया और सरकार की हार हुई।
अब कब होगी सुनवाई?
– बुधवार को कोर्ट ने कांग्रेस की पिटीशन पर केंद्र सरकार और गवर्नर को वे सारे सबूत रखने को कहा था, जो ये साबित कर सकें कि राज्य में गवर्नर रूल लगाने की वाजिब वजहें थीं।
– कोर्ट ने इस मामले को ‘बेहद गंभीर’ भी बताया। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भी भेजा है। और शुक्रवार तक जवाब देने को कहा था। अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।
– बता दें कि इस मामले की सुनवाई पांच जजों की बेंच कर रही है।
क्या है असेंबली का गणित?
– अरुणाचल असेंबली में कुल 60 सीटें हैं। 2014 में हुए इलेक्शन में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।
– बीजेपी के 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिलीं।
– पीपीए के 5 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद सरकार के पास कुल 47 एमएलए हो गए।
– लेकिन मौजूदा हालात में सीएम टुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही सपोर्ट है।
– सरकार बचाने के लिए कांग्रेस को कम से कम 31 विधायकों का सपोर्ट चाहिए।
कांग्रेस ने गवर्नर को बताया बीजेपी का एजेंट
– पिछले साल दिसंबर में गहराए सियासी संकट के दौरान टुकी ने गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा को बीजेपी एजेंट बताया था।
– टुकी ने आरोप लगाया कि उन्होंने ही राज्य में सरकार गिराने के लिए कांग्रेस के विधायकों को साथ मिलाकर बगावत कराई।
– 14 जनवरी को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असेंबली के दिसंबर में बुलाए दो दिन के सेशन को ही रद्द कर दिया।
– जिसमें सरकार के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस और स्पीकर के खिलाफ इम्पीचमेंट (महाभियोग) मोशन लाया गया था।
– टुकी सरकार ने असेंबली को सील करा दिया। इसके बाद पार्टी के बागी विधायकों ने मीटिंग बुलाकर कैलिखो पॉल को नेता चुन लिया था।