नई दिल्ली। महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा में आज महिला सदस्यों की ओर से कुछ इन तरह की गूंज उठीं, ‘मुझे अपने भू्रण में पल रहे गर्भ को पैदा करने की चाहिए आजादी … मंदिरों, दरगाहों में जाने की चाहिए आजादी … मनमाफिक कपड़े पहनने की चाहिए आजादी … चाहिए तमाम सामाजिक कुप्रथाओं से आजादी…।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज संसद में दलगत राजनीति से उूपर उठकर अधिकतर महिला सांसदों ने महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों के ‘पिंजरे से आजादीÓ दिए जाने की पुरजोर मांग की।
कांग्रेस की रंजीत रंजन इस खास मौके पर नारी सशक्तिकरण का परिचय देने के लिए जहां मोटरबाइक पर सवार होकर संसद भवन पहुंची तो वहीं भाजपा की हेमा मालिनी ने लड़कियों को लड़कों की तरह आजाद होकर सपने देखने का अधिकार दिए जाने की मंाग की। शिवसेना की भावना गवली ने महाराष्ट्र में शनि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति से इंकार किए जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि हम समानता की बात करते हैं लेकिन हम मंदिरों में नहीं जा सकते। भाजपा की पूनम महाजन ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का मतलब यह है कि मुझे मेरे गर्भ में जो भू्रण पल रहा है , उसे पैदा करने की आजादी हो ़ ़ ़ मैं जैसे कपड़े पहनना चाहूं मुझे वैसे कपड़े पहनने की आजादी हो, मुझे मंदिरों और दरगाहों में बिना रोकटोक के जाने की आजादी हो।ÓÓ तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी राय ने कहा, ” हमें बसों में अलग सीट नहीं चाहिए।