जब EVM से निकली कमल की पर्ची, सलीना सिंह बोलीं- खबर छापी तो थाने पहुंचा दूंगी

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ग्वालियर। मध्य प्रदेश के भिंड में VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की चैंकिंग के दौरान ईवीएम का बटन दबाने पर कमल का फूल प्रिंट हुआ। अब मामले में इलेक्शन कमीशन ने रिपोर्ट बुलाई है। बता दें कि भिंड के अटेर में अगले हफ्ते बाईइलेक्शन होना है। ये सीट विधानसभा में लीडर अपोजिशन रहे सत्यदेव कटारे के निधन से खाली हुई है। वहीं, जब मीडिया ने इस पर सवाल उठाया तो चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर सलीना सिंह ने कहा- “खबर छापी तो थाने भिजवा दूंगी।” कांग्रेस समेत दूसरे राजनीतिक दलों ने मामले पर उठाए सवाल हैं।

डेमो के जिए लिए जैसे ही बटन दबाया तो कमल के फूल की पर्ची निकली। पत्रकारों ने सवाल किए तो सिंह ने हंसकर कहा, मत छापना नहीं थाने में बिठलवा दूंगी।

 9 अप्रैल को होनी है वोटिंग…
– मध्य प्रदेश की अटेर और बांधवगढ़ विधानसभा सीट के लिए 9 अप्रैल को उपचुनाव होना है। दोंनों विधानसभा चुनाव में इस बार VVPAT से वोटिंग होगी।
– इस मशीन की खासियत यह है कि इससे वह पर्ची निकलती है, जिसको आपने वोट दिया होता है। इसे आप घर नहीं ले जा सकते। ये पर्चियां इलेक्शन कमीशन कुछ महीने सुरक्षित रखता है।
– शुक्रवार को सलीना भिंड पहुंची थीं। उनके सामने ही VVPAT मशीन का डेमो हुआ।
– मशीन से जुड़ी ईवीएम पर चौथे नंबर का बटन दबाया तो वीवीपीएटी ने पर्ची निकली, जो सत्यदेव पचौरी के नाम की थी। इस पर कमल का फूल चुनाव चिह्न था।
– उन्होंने फिर से बटन दबाया तो भी कमल का फूल प्रिंट हुआ। हालांकि तीसरी बार उन्होंने नंबर एक पर बटन दबाया तो पंजा निकला।
– ये देखकर सिंह बोलीं, “अब बराबर हो गया है। अगर मीडिया में यह सब छपा तो थाने भिजवा दूंगी।”

क्या बोला इलेक्शन कमीशन?

– इलेक्शन कमीशन के स्पोक्सपर्सन के मुताबिक, “डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर से हमने डिटेल रिपोर्ट मंगाई है। उम्मीद है कि ये शनिवार शाम तक मिल जाएगी।”
– वहीं, कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने कहा, “मीडिया को धमकाया जा रहा है। चुनाव आयोग को चाहिए कि सलीना सिंह को हटाया जाए।”
– “मशीन को लेकर जो आशंकाएं व्यक्त की गई थीं, वे सीईओ सलीना सिंह के सामने ही सही साबित हो गईं। अटेर में मतपत्र से चुनाव कराए जाने चाहिए।”
– बाद में सलीना ने कहा, “चुनाव आयोग मध्यप्रदेश में पहली वार EVM के साथ वीवीपीएटी मशीन का इस्तेमाल कर रहा है। ये पूरी तरह सेफ है। मशीन से मतदाता मतदान के बाद सात सेकेंड तक दिए गए वोट को देख सकेंगे।”

क्या बोले भिंड कलेक्टर?

– इलैया राजा के मुताबिक, “चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर सलीना सिंह ने दोनों बार ही बीजेपी के सिंबल वाला बटन दबाया था। हालांकि शनिवार शाम को सभी राजनीतिक दलों के सामने फिर से वोटिंग मशीन का प्रदर्शन रखा गया है।”

क्या है EVM कॉन्ट्रोवर्सी?

– मायावती ने यूपी इलेक्शन में हार के बाद कहा कि चुनाव जनता ने नहीं, ईवीएम ने हराया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 325 सीट जीतकर भी बनावटी मुस्कराहट से साफ होता है कि चुनाव धांधली कराकर जीता है।
– उत्तराखंड में हार के बाद हरीश रावत ने कहा कि मोदी क्रांति और ईवीएम के चमत्कार को सलाम करता हूं।
– वहीं, केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में AAP का 20 से 25% वोट ईवीएम के जरिए अकालियों को ट्रांसफर हो गया। मेरा मानना है कि हम जीत रहे थे और ईवीएम में गड़बडी के असली कारण क्या थे, इसका मुझे पता नहीं है। अगर ईवीएम में गड़बड़ी की जाती है तो चुनावों का क्या मतलब। हमें पंजाब में सत्ता से बाहर रखने के लिए सारा खेल किया गया।
– EVM विवाद के बाद इलेक्शन कमीशन ने कहा कि मशीन को 2 बार चेक किया जाता है। उसे कैंडिडेट के सामने जांचा और सील किया जाता है। काउंटिंग से पहले भी ईवीएम को कैंडिडेट्स के सामने खोला जाता है।
– बता दें कि 1980 में इलेक्शन कमीशन ने राजनीतिक दलों को EVM दिखाई थी। लेकिन 24 साल बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में इसका पूरे देश में इस्तेमाल शुरू हो सका।
डेमोक्रेसी एट रिस्क बुक में सवाल उठा- क्या ईवीएम पर भरोसा कर सकते हैं?
– 2010 में बीजेपी लीडर जीवीएल नरसिम्हा राव की बुक ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क-कैन वी ट्रस्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?’ आई। इस बुक की प्रस्तावना आडवाणी ने लिखी।
– आडवाणी ने लिखा था, “टेक्नोलॉजी के नजरिए से मैं जर्मनी को मोस्ट एडवांस्ड देश समझता हूं। वहां भी ईवीएम के इस्तेमाल पर बैन लगा चुका है। आज अमेरिका के 50 में से 32 स्टेट में ईवीएम पर बैन है। मुझे लगता है कि अगर हमारा इलेक्शन कमीशन भी ऐसा करता है, तो इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।”

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