नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त करने संबंधी आदेश वापस लेने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए आज कहा कि उसे इस मामले में ‘गुमराह किया गया।
शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की समिति ने हमारे 20 महीने के आदेशों के बावजूद इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं की। अब यह विवाद कार्यवाही का केन्द्र बिन्दु बन गया। वरिष्ठ अधिवक्ता टी आर अंद्यारूजिना ने जब यह सवाल किया कि यदि राज्य सरकार ने उनके बारे में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की आपत्तियों से अवगत कराया होता तो क्या न्यायमूर्ति सिंह को नियुक्त किया जाता तो इस पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा, ”निश्चित ही नहीं। अंद्याारूजिना ने कहा, ”मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति :वीरेन्द्र: सिंह की निष्ठा पर संदेह था और मुख्यमंत्री तथा विपक्ष के नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि उनका नाम हटा दिया जाएगा लेकिन इसके बावजूद उनका नाम इस न्यायालय को दिया गया।