नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले दो महीने से जारी प्रदर्शन को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई जस्टिस संजय कौशल, जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच ने की। शीर्ष अदालत ने कहा है कि लोकतंत्र हर किसी के लिए, ऐसे में विरोध के नाम पर सड़क जाम नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए बतौर वार्ताकार नियुक्त किया है। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
अदालत ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारियों को हटाने के ऑप्शन पर चर्चा करने और उनसे बात करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि हमारी चिंता सीमित है, अगर हर कोई सड़क पर उतरने लगेगा तो क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को हलफनामा दायर करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील संजय हेगड़े को शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए कहा है। इस दौरान संजय हेगड़े ने कहा कि उनके साथ रिटायर्ड जस्टिस कुरियन जोसेफ को उनके साथ भेज सकते हैं। संजय हेगड़े की ओर से सॉलिसिटर जनरल से पुलिस प्रोटेक्शन की अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 64 दिन से प्रदर्शन जारी है, लेकिन आप उन्हें हटा नहीं पाए। अब बातचीत से हल नहीं निकलता है तो हम अथॉरिटी को एक्शन के लिए खुली छूट देंगे।
याचिका में अपील की गई है कि अदालत इस रास्ते को तुरंत खोलने का आदेश दें। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि हम अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध और आवाज उठाने के खिलाफ नहीं हैं। जस्टिस कौल ने कहा कि जनता को समस्या हो सकती है लेकिन मुद्दा जनजीवन को ठप करने की समस्या अभी भी जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदर्शनकारियों को एक उचित समाधान के लिए राजी करें। इस दौरान वकील तसनीम अहमदी ने कहा कि इस प्रदर्शन में किसी एक धर्म नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि हमारी चिंता सीमित है, अगर हर कोई सड़क पर उतरने लगेगा तो क्या होगा? लोकतंत्र तो हर किसी के लिए है, आप प्रदर्शन करें। दिल्ली में हमारी चिंता ट्रैफिक को लेकर है. अगर आपकी मांग भी जायज है तो आप रास्ता कैसे बंद कर सकते हैं।