नई दिल्ली। गांव के हालात बदलने और लोगों के लिए रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना : मनरेगा: के कल 10 वर्ष पूरे होंगे। इस योजना पर अब तक 3.13 लाख करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं हालांकि उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, मणिपुर जैसे कई राज्यों में इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर भ्रष्टाचार एवं अनियमिताताओं की शिकायतें बाधक के रूप में उभर कर सामने आई हैं।
सूचना के अधिकार :आरटीआई: के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2010..11 से 14 सितंबर 2015 के बीच करीब साढ़े पांच वर्ष के दौरान देश के विभिन्न प्रदेशों में मनरेगा योजना के मद में 2.10 लाख करोड़ रूपए खर्च हुए। इस अवधि में केंद्र की ओर से 1.84 लाख करोड़ रूपए जारी किए गए। मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए सम्पूर्ण खर्च केंद्र और राज्य सरकार करती हैं। इसमें केंद्र और राज्य की देनदारियों का निर्धारण मनरेगा अधिनियम की धारा 22 के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है। आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, मनरेगा योजना के कार्यान्वयन को लेकर विभिन्न राज्यों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई। 2010 से 2015 की अवधि में मनरेगा को लेकर बिहार में कुल 249 शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें 13 शिकायतें विशिष्ठ प्रकृति की और 236 शिकायतें सामान्य प्रकृति की हैं। उत्तरप्रदेश में इस अवधि में लंबित शिकायतों की संख्या 263 दर्ज की गई।