नई दिल्ली। देश में चल रहे इकोनॉमी स्लोडाउन के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने (आरबीआई) ने गंभीर चेतावनी दी है। आरबीआई के फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी नौ माह में बैंकों के फंसे कर्ज गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में और वृद्धि हो सकती है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इसका कारण अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लोन का भुगतान करने में नाकामी तथा क्रेडिट ग्रोथ में कमी है। साल में दो बार जून तथा दिसम्बर में प्रकाशित होने वाले आरबीआई के फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) में मध्यम रेटिंग वाली कंपनियों द्वारा रेटिंग शॉपिंग (पसंद की रेटिंग पाने के लिए मनचाही एजेंसियों की सेवा लेना) के प्रति भी ध्यान दिलाया गया है।
आरबीआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बाद बैंकों की पूंजी पर्याप्तता अनुपात सितम्बर 2019 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 15.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है। प्रोविजन कवरिंग रेशियो (पीसीआर) भी बढ़कर 61.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो गत वर्ष की समान अवधि में 60.5 प्रतिशत था। आरबीआई ने कहा कि वृहद आर्थिक परिदृश्य, लोन के पेमेंट में नाकामी तथा क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट की वजह से बैंकों का ग्रॉस एनपीए (जीएनपीए) अनुपात सितम्बर 2019 के 9.3 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर 2020 में 9.9 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंकों का कुल फंसा कर्ज सितम्बर 2019 के 12.7 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर 2020 में 13.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए यह आंकड़ा 3.9 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। विदेशी बैंकों के लिए यह आंकड़ा 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 3.1 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। आरबीआई ने कहा कि प्रोविजनिंग बढ़ने के कारण भारतीय बैंकों का शुद्ध एनपीए (एनपीए) सितम्बर 2019 में घटकर 3.7 प्रतिशत पर पहुंच गया था।