शिबली एकेडमी ने ठुकराई यूपी सरकार की पांच लाख की मदद

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 लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ स्थित देश के प्रमुख इस्लामी शोध संस्थान दारूल मुसन्निफीन शिबली एकेडमी ने राज्य सरकार द्वारा पिछले दिनों पेश बजट में उसे प्रस्तावित पांच लाख रूपए की मदद को नाकाफी और अपमानजनक बताते हुए उसे ठुकरा दिया है।
 शिबली एकेडमी के निदेशक मौलाना इश्तियाक अहमद जिल्ली ने आज टेलीफोन पर ‘भाषाÓ से बातचीत में कहा कि उन्होंने देश के सबसे पुराने अदबी इदारों में शुमार की जाने वाली इस एकेडमी की तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री के कहने पर ही सरकार को 22 करोड़ रूपए का प्रस्ताव सौंपा था, उस पर मात्र पांच लाख रूपए दिया जाना कतई ठीक नहीं है। इतनी रकम में तो कुछ नहीं हो सकता। सरकार ने बजट में जो दिया, उससे एकेडमी प्रशासन हैरान और बेहद निराश है। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा ”यह तो ठीक उसी तरह है कि जैसे किसी का हाथ फैला हो और उस पर तरस खाकर कुछ रख दिया गया हो। हम इस धनराशि को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे। हम सरकारी मदद के बगैर 101 साल से जिंदा हैं, अल्लाह ने चाहा तो आगे भी जिंदा रहेेंगे।ÓÓ जिल्ली ने कहा कि शिबली एकेडमी का आजादी की लड़ाई में अहम योगदान रहा है, जिसे महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी माना था। ऐसे संस्थान के साथ सरकार का ऐसा बर्ताव निहायत अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश ने करीब दो साल पहले आजमगढ़ में आयोजित एक रैली में वादा किया था कि वह शिबली एकेडमी की हर जरूरत को पूरा करेंगे और उसके बाद उनके कार्यालय ने उनसे एकेडमी की तमाम जरूरतों पर खर्च का प्रस्ताव मांगा था। इस पर 22 करोड़ रूपए का प्रस्ताव जिलाधिकारी तथा कई अन्य माध्यमों से कई बार भेजा गया था।

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