लखनऊ। सोमवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ व आर्थिक राजधानी गौतमबुद्धनगर (नोएडा/ग्रेटर नोएडा) में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर दिया गया। अभी तक देश के 15 राज्यों के 71 शहरों में ये सिस्टम लागू है। यूपी में पहली बार प्रयोग के तौर पर दो शहरों में कमिश्नरी व्यवस्था की गई है। योगी सरकार का दावा है कि, इससे स्मार्ट पुलिसिंग के साथ कानून व्यवस्था सुदृढ़ होगी। ऐसे में आम लोगों के मन में सवाल उठता है कि, पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करता है? इसके लागू होने से पुलिस को कौन सी शक्तियां मिल जाती हैं? आइए जानते हैं।
योगी सरकार ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने के बाद लखनऊ में आईपीएस सुजीत पांडेय व गौतमबुद्धनगर में आलोक सिंह को कमिश्नर बनाया है। राजधानी लखनऊ के साथ दिल्ली एनसीआर के गौतमबुद्धनगर जिले में कानून व्यवस्था को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता रहती है। मालूम हो कि, यूपी के दो जिलों गौतमबुद्धनगर व गाजियाबाद को छोड़कर एनसीआर के सभी जिलों व शहरों में पहले से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है।
किसको क्या मिला?
जिलाधिकारी से छिने ये अधिकार | कमिश्नर प्रणाली के बाद अब पुलिस को मिले ये अधिकार |
धारा 144 व कर्फ्यू | कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अब पुलिस खुद धारा 144 व कर्फ्यू लगा सकती है। |
धारा 151 (शांतिभंग) | शांति भंग के आशंका के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर 14 दिनों के लिए जेल भेज सकती है पुलिस। |
107/16 | निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिला |
गुंडा एक्ट व गैंगस्टर एक्ट, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम | पुलिस इन मामलों में अब सीधे कार्रवाई कर सकेगी। |
कारागार | कारागार से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार मिला। |
गिरोहबंद अपराध और समाज विरोधी अधिकार पर कार्रवाई | पुलिस इन मामलों में अब सीधे फैसले लेगी। |
एनएसए | राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिला। इसके अलावा 15 अन्य अधिनियम के तहत कार्रवाई का अधिकार भी पुलिस को मिल गए हैं। |
धरना प्रदर्शन | धरना प्रदर्शन की अनुमति देने न देने का अधिकार मिला। |
सरकारी गोपनीयता | सरकारी गोपनीयता भंग करने वालों पर कार्रवाई पुलिस ऐसे मामलों पर सीधे कार्रवाई करेगी। |
बनेगी पुलिस कोर्ट-
पुलिस द्वारा कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद धारा-151 और 107/16 के तहत पांबन्द किए जाने के लिए एक पुलिस कोर्ट बनेगी। जिसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था सम्बंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय होगा। बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए न्यायिक न्यायालय ही सुनवाई करेगी।
अब ये अधिकार रहेंगे डीएम के पास
कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद आर्म्स एक्ट लाइसेंस देने/रद्द करने, आबकारी के सभी निर्णय, डेवलपमेंट करने का फैसला और जमीन सम्बंधित मामले, जो कि राजस्व का अधिकार जिलाधकारी के पास रहेंगे।
कमिश्नर प्रणाली होने के बाद क्या होगा?
महानगर को जोन में बांट जाएगा। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाया जाएगा। कमिश्नर का मुख्यालय होगा। कानून व्यवस्था व मुख्यालय के कामकाज के लिए दो जॉइंट कमिश्नर तैनात रहेंगे। जोन में डीसीपी तैनात किए जांएगे। महिला डीसीपी तैनात रहेंगी, जो केवल महिला अपराध सम्बंधित मामलों के निस्तारण के लिए तैनात रहेंगी। जिसके बाद महिला थाने समेत अन्य महिला के अपराध के मामले रहेंगे। इसके बाद एसीपी/डीएसपी स्तर के अफसर को क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनात किया जाएगा, जो कि सीओ की तरह एसीपी तैनात होंगे। जो तीन से चार थानों को डील करेंगे। इसके बाद इंस्पेक्टर/प्रभारी निरीक्षक होगा। इसके बाद चौकी इंचार्ज तैनात होगा।
क्या बोले यूपी के पूर्व डीजीपी?
- पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा- कमिश्नर प्रणाली लागू करना बड़ी बात नहीं, इसका सफल होना बड़ी बात है। कमिश्नर के पास राजस्व के मामलों को छोड़कर कानून-व्यवस्था के सभी अधिकार अब पुलिस के पास रहेंगे। बताया कि, पुलिस आयुक्त शहर में उपलब्ध स्टाफ का उपयोग अपराधों को सुलझाने, कानून और व्यवस्था को बनाए रखने, अपराधियों और असामाजिक लोगों की गिरफ्तारी, ट्रैफिक सुरक्षा आदि के लिए करता है। इसका नेतृत्व डीसीपी और उससे ऊपर के रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है। कुल मिलाकर पुलिस की जवाबदेही बढ़ जाती है।
- पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा- अभी तक ज्यादातर लॉ एंड आर्डर के मामले इसलिए उग्र हो जाते हैं, क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका में होगी। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी कार्रवाई हो सकेगी।
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कमिश्नर सिस्टम के लिए होनी चाहिए 10 लाख से अधिक आबादी
पूर्व डीजीपी प्रकाश का कहना हैं कि, कमिश्नर प्रणाली 10 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले शहर में ही लागू हो सकती हैं। कमिश्नर प्रणाली एक पारदर्शी प्रणाली हैं। अगर किसी भी सिस्टम के पास अधिकार होते तब वह सही निर्णय ले सकता हैं और उसकी जिम्मेदारी भी तय की जा सकती है।
कमिश्नर सिस्टम के कुल पद इस प्रकार हैं-
पुलिस कमिशनर – सीपी
संयुक्त आयुक्त –जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर –पीआई
सब इंस्पेक्टर – एसआई
पुलिस दल