लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप कांड की पीड़िता के दुर्घटना मामले में सीबीआई ने भाजपा के निलंबित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत 10 लोगों के खिलाफ बुधवार की सुबह हत्या, साजिश और धमकी देने की एफआईआर दर्ज कर ली है। इन 10 लोगों ‘आरोपी नंबर-7’ अरुण सिंह है जो बीजेपी कार्यकर्ता है और उन्नाव में एक ब्लॉग का अध्यक्ष है। अरुण सिंह प्रदेश सरकार के मंत्री रणन्जय सिंह के दामाद हैं। 2019 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अरुण सिंह उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज के साथ फोटो और वीडियो में देखा जा सकता है।
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इनके अलावा सीबीआई ने इस मुकदमे में कुलदीप सेंगर के भाई मनोज सिंह सेंगर, विनोद मिश्र, हरिपाल सिंह, नवीन सिंह, कोमल सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, रिंकू सिंह के अलावा वकील अधिवक्ता अवधेश सिंह को भी नामजद किया है। सरकार ने मामले के तूल पकड़ने पर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 28 जुलाई को पीड़िता रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने के लिए उन्नाव से मौसी, चाची और वकील महेन्द्र सिंह के साथ कार से निकली थी। गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र में उसकी कार को सामने से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें चाची व मौसी की मौत हो गई थी जबकि वह और वकील गम्भीर रूप से घायल हो गये थे। दोनों की हालत गम्भीर बनी है। इस हादसे को परिवारीजनों के साजिश बताने पर मामले ने तूल पकड़ लिया था।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
रायबरेली पुलिस ने 302,307,506 व 120बी ( हत्या, जानलेवा हमला, जान से मारने की धमकी और अपराधिक साजिश) आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। सीबीआई ने इसी मुकदमें को आधार बनाकर केस दर्ज किया है। सीबीआई लखनऊ की एसीबी ब्रांच के एएसपी राम सिंह को यह मामला सौंपा गया है।
अब तक पांच केस दर्ज
सीबीआई इस मामले में अब तक कुल पांच केस दर्ज कर चुकी है। सामूहिक दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट से लेकर पीड़िता के पिता को पीटने और झूठे मुकदमें में जेल भेजने वाले मामलों में मुकदमें दर्ज हैं। अब रायबरेली में दुर्घटना मामले में भी केस दर्ज कर लिया। सीबीआई पहले के तीन मुकदमों में आरोप पत्र भी दाखिल कर चुकी है।
उधर, रणवेंद्र सिंह ने कहा, ‘सीबीआई मामले की जांच कर रही है. जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा. वह मेरे रिश्तेदार हैं इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन यह कोई अपराध नहीं है. पीड़िता का आरोप है कि कुलदीप सिंह सेंगर और उसके सहायकों ने वर्ष 2017 में उसके साथ रेप किया था, जब वह उनके पास नौकरी मांगने गई थी. उसने अपने आरोप अप्रैल, 2018 में सार्वजनिक किए थे, जब उसने धमकी दी कि अगर पुलिस ने उसका केस दर्ज नहीं किया, तो वह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्महत्या कर लेगी.