लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारी प्रयागराज को यमुना, टोन्स एवं बेलन नदी की जलधारा में स्वीकृत समस्त खनन पट्टों को निरस्त कर एक्सपोस्ड एरिया का सर्वे, सेटेलाइट इमेजरी के माध्यम से कराकर क्षेत्र में बालू की उपलब्धता एवं निकासी मार्गों का भौतिक सत्यापन करके पुनर्गठित करने के निर्देश दिये गये हैं। पुनर्गठित क्षेत्रों का डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिर्पोट (डी0आर0एस0) तैयार कराकर समयबद्ध रूप से क्षेत्रों को विज्ञापित कर खनन परिहार स्वीकृत करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
यह जानकारी निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म, डॉ0 रोशन जैकब ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि जनपद प्रयागराज में स्थित ग्राम- आदमपुर, बसवार, कैनुआ, सेमरी, कन्जासा आदि के यमुना नदी में, ग्राम परानीपुर, रैपुरा आदि के गंगा नदी मे, ग्राम ममौली, कोहड़ार आदि के टोन्स नदी तथा बेलन नदी में स्वीकृत खनन पट्टों का स्थलीय निरीक्षण किया गया। उन्होने कहा कि निरीक्षण के समय यमुना नदी, टोन्स नदी एवं बेलन नदी में स्वीकृत समस्त खनन पट्टे नदी की जलधारा में पाये गये। गंगा नदी में स्वीकृत खनन पट्टों के कुछ अंश नदी की जलधारा में पाये गये। जो उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-1963 के प्राविधानों का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि नदी की जलधारा में खनन पट्टा स्वीकृत किये जाने से अवैध खनन को बढ़ावा मिलता है।
निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म ने बताया कि जनपद प्रयागराज के गंगा नदी में स्वीकृत खनन पट्टों के कुछ अंश नदी की जलधारा में है, जिससे नदी की जलधारा में अवैध खनन होने की सम्भावना बनी रहती है। साथ ही बालू की निकासी जलधारा से होने के कारण निकासी मार्ग भी अवैध हैै। उन्होंने कहा कि इन पट्टा क्षेत्रों का पुर्नगठन इस प्रकार कराया जाये कि एक्सपोस्ड एरिया में ही खनन कार्य हो तथा निकासी नदी की जलधारा से न हो।