अलीगढ़। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अलीगढ़ में चलती ट्रेन के भीतर एक दर्दनाक हादसा हुआ। इस हादसे ने ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को अंदर तक हिला दिया है। स्तब्ध कर दिया है। दिल्ली से लखनऊ (Delhi To Lucknow ) की ओर जा रही नीलांचल एक्सप्रेस ट्रेन 110 किमी रफ्तार से दौडं रही थी। उसी ट्रेन पर सवार यात्री की गर्दन को छेदते हुए लोहे की रॉड (Rod) आर-पार हो गई, जिसके कारण सुल्तानपुर (Sultanpur) निवासी हरिकेश दुबे नामक यात्री की मौत हो गई है। यात्री ट्रेन की जरनल कोच की सीट संख्या 15 पर सवार था।
नीलांचल एक्सप्रेस (Neelachal Express) में यह दर्दनाक नजारा देख उस कोच में सवार सभी यात्री दहशत में थे। यह हादसा करीब सुबह 8.50 बजे पर हुआ। दहशत का आलम ये था कि खिड़की के पास बैठे यात्रियों ने सीट छोड़ दी। यात्री (Passenger) बार-बार हरिकेश की ओर देख कर सहम जाते। उनको समझ में नहीं आ रहा था.. कि आखिर ये कैसे हुआ। हादसे के वक्त ट्रेन को चेन पुल कर रोका गया और पुलिस के साथ कंट्रोल रूम को इसकी खबर दी गई। पुलिस ने मुसाफिरों को समझा बुझा कर शांत किया और ट्रेन के अलीगढ़ (Aligarh) पहुंचने तक इंतजार करने को कहा। साक्ष्य के तौर पर फोटो और वीडियो बनाने के बाद उसका शव नीचे उतारा गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
गोली की रफ्तार से घुसी थी लोहे की रॉड
एक यात्री के अनुसार ट्रेन डाबर स्टेशन के पास से गुजर रही थी, तभी अचानक जोरदार आवाज के साथ एक लोहे की रॉड खिड़की के लगे शीशे को तोड़ते हुए सीधे सीट संख्या 15 पर सवार यात्री की गर्दन एवं कान के बीच से सिर से पार होकर प्लाईबोर्ड में जा घुसी। जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गया। यात्री का काफी खून बह गया। गनीमत रही कि हादसे के वक्त पास में ही बैठी दूसरी महिला यात्री बाल-बाल बच गई। उन्होंने बताया कि ट्रेन को चेन पुलिंग कर रोका गया और स्टाफ को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी।
रेलवे के इतिहास में पहली घटना
रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मियों के अनुसार यह रेलवे (Railway) के इतिहास में इस तरह का पहला मामला है जब सीट पर बैठे यात्री के साथ इस तरह की घटना हुई है। वरना ऐसी किसी घटना का कोई जिक्र नहीं मिलता है। इससे पहले एक बार स्टेशन पर मालगाड़ी का डाला खुलने से चार प्लेटफार्म नंबर दो पर चार यात्रियों की मौत हो गई थी।
पीडब्लयूआई विभाग की लापरवाही !
आरपीएफ पोस्ट कमांडर राजीव वर्मा एवं जीआरपी के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार यादव के अनुसार ट्रेन में सवार यात्रियों (Passenger) के अनुसार घटनास्थल डाबर-सोमना स्टेशन के बीच का था। अब तक मिली जानकारी के अनुसार ये जगह किनुहा हो सकती है। इसकी गहन जांच अभी जारी है। ट्रेन में सवार सहयात्रियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। उधर, हादसे के बाद रेलवे अफसरों की संयुक्त टीम संभावित घटनास्थल सोमना-डाबर रेलवे ट्रैक का कई घंटे तक निरीक्षण किया। यहां तक की डाबर रेलवे स्टेशन (Railway Station) के पास चल रहे रेलवे के काम के बारे में जानकारी लेने के साथ ही सोमना स्टेशन के पास एक सीमेंट के कारखाने में काम करने वाले मजदूरों से भी जानकारी ली गई है। जांच दल के अधिकारियों ने बताया कि प्रथमदृष्टया पीडब्लयूआई विभाग की लापरवाही मानी जा रही है, लेकिन अभी जांच जारी है।
हादसा या लापरवाही, रेलवे ने जांच बैठाई
रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही के चलते मोबाइल टॉवर से जुड़ी एक कंपनी में तकनीशियन को अपनी जान गंवानी पड़ गई। सवाल उठता है कि जब रेलवे सुरक्षा एवं संरक्षा की बात करता है तो शुक्रवार को ट्रेन गुजरने के समय लापरवाही क्यों बरती गई ? जब चलती ट्रेन (Train) में इस तरह का हादसा (Accident) हो सकता है तो सफर करने वाले यात्री कितने सुरक्षित होंगे ? समझा जा सकता है। हादसे के वक्त ट्रेन 110 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रही थी। उत्तर-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय के अनुसार हादसे को लेकर रेलवे ने जांच बैठा दी है। पता कराया जा रहा कि यह हादसा किसकी लापरवाही से हुआ है।