लखनऊ। राजधानी लखनऊ से निरंतर प्रकाशित दृष्टांत मैग्जीन ने नवम्बर और जनवरी में लगातार सतीश महाना के विरुद्ध खबर छापी तो योगी सरकार ने महाना छोड़ दृष्टांत मैग्जीन के खिलाफ ही एसआईटी (SIT) जांच के आदेश दे दिए थे। जिसको लेकर मैगजीन के सम्पादक अनूप गुप्ता हाईकोर्ट गये। हाईकोर्ट ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुये इस पर सरकार से जबाब मांगा है। ज्ञात हो कि गृह विभाग ने इस संबंध में पत्र जारी कर एसआईटी को जांच करने का निर्देश दिया था।
एसआईटी जांच को लेकर दृष्टांत के संपादक अनूप गुप्ता ने सरकार की तरफ से उन्हें प्रताडि़त करने की कार्रवाई मानते हुए हाईकोर्ट लखनऊ के दो सदस्यीय बेंच में याचिका दायर की थी। माननीय न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव एवं माननीय न्यायमूर्ति रीतू राज अवस्थी की दो सदस्यीय कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि एसआईटी के संदर्भ में 16 जून 2007 को जारी हुए जीओ में एसआईटी जांच की स्पष्ट व्याख्या की गई है। प्रार्थी के खिलाफ मौजूदा परिस्थितियों में एसआईटी जांच का कोई कारण नहीं बनता है. उन्होंने सरकार से एसआईटी जांच गठित करने के संदर्भ में जवाब मांगा है।
दृष्टांत की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सी.बी. पांडेय एवं सौरव यादव ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि दृष्टांत के खुलासे से नाराज प्रदेश सरकार के मंत्री सतीश महाना ने मानहानि का नोटिस भेजने की बजाय अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एसआईटी जांच के आदेश दिलवा दिये।
झगड़ालू, जिद्दी और बवाली संपादक के तौर पर मशहूर हैं अनूप गुप्ता
पत्रकारिता जगत में झगड़ालू, जिद्दी और बवाली शख्स के तौर पर मशहूर हैं अनूप गुप्ता। उनके विरोधी उन पर यह आरोप भी फेंकते हैं कि अनूप गुप्ता का मूल धंधा दलाली है। लेकिन उनके साथ अपने संपर्क के दौरान मुझे एक बार भी ऐसा नहीं महसूस हुआ कि अनूप गुप्ता दलाली में लिप्त हैं। और सिर्फ मैं ही क्यों, अनूप के साथ रहे सभी लोग मानते हैं कि अनूप और चाहे कुछ हों, लेकिन वो दलाल हर्गिज नहीं। अनूप के साथ एक खास बात तो है ही, कि अपने जीवन में कम ही सही, लेकिन बेहतर दोस्त जरूर कमाये हैं। वरना उनका खर्चा चल पाना मुमकिन नहीं होता। अनूप सहयोग मांगते हैं, जो उन्हें सहज ही मिल जाता है। वैसे एक बात जरूर है कि खबरों के साथ कठोर परिश्रम जरूर करते हैं अनूप गुप्ता। हां, झंझट करना उनके खून में शामिल है। चाहे वह सतीश महाना हों, या फिर #IAS नवनीत सहगल। जिससे भिड़ गये, तो भिड़ गये। हेमंत तिवारी जैसे पत्रकारों पर भी अनूप ने जम कर कलम चलायी। बल्कि पत्रकार और नेताओं तथा अफसरों के गंठजोड के खिलाफ भी अनूप ने खूब आग उगली है। यही वजह है कि अनूप गुप्ता को लेकर पत्रकार बिरादरी भी उनसे चिढ़ी रहती है, पंगा लिये रहती है। उनके संघर्षशील चरित्र का ही यह परिणाम है कि सरकार ने उनका निरालानगर वाला सरकारी मकान भी बेवजह खाली करा लिया था। मकान खाली कराने के मामले में अनूप गुप्ता कभी भी नवनीत सहगल को माफ नहीं कर पाये। और अपने जीवन के प्राथमिक लक्ष्य के तौर पर ही IAS नवनीत सहगल को अपने निशाने पर रखते हैं।