ओलंपिक मेडल जीतने के बाद मनु भाकर खुशी से झूम उठीं…

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पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का मेडल खाता खुल गया है। युवा निशानेबाज मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। वह ओलंपिक के इतिहास में शूटिंग में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। फाइनल राउंड में उन्होंने तीसरे स्थान पर रहकर 221.7 अंक प्राप्त किए और कांस्य पदक अपने नाम किया।

मेडल जीतने के बाद मनु भाकर ने कहा कि मैंने इस सफलता के लिए बहुत मेहनत की है। मैंने अपनी पूरी ताकत और ऊर्जा के साथ मुकाबला किया, यहां तक कि आखिरी तक। भले ही यह कांस्य पदक है, लेकिन मुझे गर्व है कि मैंने देश के लिए यह पदक जीता। मैंने गीता का काफी अध्ययन किया है और भगवान कृष्ण की बातों को ध्यान में रखा – कर्म पर ध्यान केंद्रित करो, परिणाम पर नहीं। मैंने यही किया, बस अपने काम पर ध्यान दिया और बाकी चीजों को अपने आप होने दिया। टोक्यो ओलंपिक के बाद मैं काफी निराश थी, लेकिन अब मैंने शानदार वापसी की है। अतीत को भुलाकर वर्तमान पर ध्यान केंद्रित किया। सच में, आज मैं खुद को बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं।

तीन साल पहले टोक्यो ओलंपिक में अपने पहले ओलंपिक में पिस्टल में तकनीकी खराबी के कारण रोती हुई मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में अपने संघर्ष और दृढ़ता की एक नई मिसाल पेश की। पेरिस में पदक जीतकर उन्होंने पुराने जख्मों पर मरहम लगाया और अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं। कांस्य पदक जीतने के बाद जब उनके नाम की घोषणा तीसरे स्थान के लिए की गई, तो उनके चेहरे पर एक तरफ सुकून की मुस्कान थी, वहीं दूसरी तरफ एक हल्की सी कसक भी कि 0.1 अंक और होते तो पदक का रंग कुछ और हो सकता था।

साल 2012 के बाद से निशानेबाजी में यह पहला ओलंपिक पदक
जब भारतीय निशानेबाज प्रतियोगिता से बाहर हुईं, तो वे दक्षिण कोरिया की येजी किम से केवल 0.1 अंक पीछे थीं, जिन्होंने अंततः 241.3 अंक के साथ रजत पदक जीता। किम की साथी निशानेबाज ये जिन ओह ने 243.2 अंक के साथ स्वर्ण पदक जीता। यह लंदन ओलंपिक 2012 के बाद भारतीय निशानेबाजों का पहला ओलंपिक पदक है। रियो ओलंपिक 2016 और टोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों को खाली हाथ लौटना पड़ा था।

राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में कई पदक जीत चुके पिस्टल निशानेबाजी के दिग्गज कोच राणा के साथ मनु का संबंध भी कुछ खास रहा है। वह 2018 एशियाई खेलों से पहले मनु के कोच बने और उनके मार्गदर्शन में मनु ने सीनियर विश्व कप में दस पदक (2018 से 2021) जीते। हालांकि, टोक्यो ओलंपिक से पहले मार्च 2021 में दोनों के बीच मतभेद के कारण वे अलग हो गए थे। पिछले साल मनु ने एक बार फिर कोच राणा के साथ जुड़ने का निर्णय लिया और इसके सकारात्मक परिणाम अब सामने हैं।

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