हम वही करेंगे, जो राष्ट्र के हित में होगा, अमेरिकी प्रतिबंधों पर भारत का जवाब

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नई दिल्ली। दो दिन के दौरे पर भारत आए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। पोम्पियो की जयशंकर से मुलाकात के दौरान भारत के रूस के साथ एस-400 मिसाइल सिस्टम सौदे और अन्य रक्षा सौदों पर बातचीत हुई। इस दौरान भारत ने स्पष्ट कहा कि हम वही करेंगे, जो राष्ट्र के हित में होगा। पोम्पियो ने कहा कि अभी हमारे पास मोदी और ट्रम्प दो ऐसे नेता हैं, जो जरूरत पडऩे पर जोखिम उठाने से डरते नहीं हैं। दोनों विदेश मंत्रियों ने बातचीत के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान जयशंकर से पूछा गया कि क्या अमेरिका के काट्सा कानून का असर भारत के रूस के साथ एस-400 सौदे पर भी पड़ेगा। जयशंकर ने कहा- हमारे कई देशों के साथ रिश्ते हैं। हमारी कई साझेदारियां हैं और उनका इतिहास है। हम वही करेंगे जो हमारे देश के हित में होगा।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगा रखे हैं तथा वह भारत पर दबाव डाल रहा है कि रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली का सौदा न करे।


दोनों विदेश मंत्रियों ने ईरान और खाड़ी क्षेत्र में तनाव पर भी चर्चा की तथा ईरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंधों से भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर पडऩे वाले प्रभाव का आकलन किया। जयशंकर ने कहा कि भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा वह अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 75 प्रतिशत आयात से पूरा करता है। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि उसे उचित मूल्य पर ऊर्जा की निश्चित आपूर्ति होती रहे।
ईरान के उपर मतभेदों के बारे में दोनों विदेश मंत्रियों ने स्पष्ट रुप से कुछ नही कहा । जयशंकर के अनुसार, वार्ता के जरिए हम एक दूसरे के नजरिए और चिंताओं को बेहतर रुप से समझ सके। उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री भारत के हितों को समझेंगे।


ईरान के बारे में पोम्पियो ने सख्त भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि वह दुनिया में आतंकवाद फैलाने वाला सबसे बड़ा देश है। उन्होंने आगे कहा कि भारत लंबे समय से आतंकवाद से जूझ रहा है। ईरान के संदर्भ में अमेरिकी विदेश मंत्री के इस कथन के पक्ष-विपक्ष में जयशंकर मे कुछ नहीं कहा।


भारत और अमेरिका के बीच व्यापार विवाद के बारे में दोनों विदेश मंत्रियों ने विश्वास व्यक्त किया कि इन्हें सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस व्यापक औऱ गहरी द्विपक्षीय साझेदारी में मतभेदों का होना स्वाभाविक है। कूटनीति का काम यह है कि वह इन मतभेदों का समाधान करे। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी प्रशासन ने गत दिनों भारतीय उत्पादों का तरजीही दर्जा खत्म कर दिया है। इसके जवाब में भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क में भारी बढ़ोतरी कर दी है। जयशंकर ने इस मुद्दे पर कहा कि भारत-अमेरिका में नीति निर्धारक संस्थाओं के साथ इस बारे में संपर्क और विचार विमर्श करेगा ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके।
विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने वार्ता के दौरान भारतीयों को एच-1बी वीजा सुगमता से दिए जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय उद्योग, व्यापार, शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिकी समाज जीवन में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन को इस बात को ध्यान में रखकर कदम उठाने चाहिए।


दोनों विदेश मंत्रियों ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी नई ऊंचाइयां छुएगी। व्यापार निवेश और रक्षा सहयोग में और बढ़ोतरी होगी। जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की एक बड़ी तस्वीर है। कुछ मतभेदों के बावजूद व्यापार निवेश ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग में निरंतर वृद्धि हो रही है।
आतंकवाद के संबंध में अमेरिका के समर्थन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए जयशंकर ने कहा कि अमेरिका आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नही करने (जीरो टॉलरेंस) की भारतीय नीति से सहमत है। वह सीमा पार आतंकवाद के बारे में भारतीय रुख का भी समर्थन करता है। इस संबंध में उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुझाव के प्रति अमेरिका के समर्थन का भी जिक्र किया।


अमेरिका की भारत-प्रशांत क्षेत्र (इंडो पैसिफिक) में रणनीति के बारे में जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि यह रणनीति किसी देश के खिलाफ नही होनी चाहिए। एक सकारात्मक नीति के जरिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि कायम करने का प्रयास होना चाहिए, जिसमें इस क्षेत्र के देशों की प्रमुख भूमिका हो।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने आज सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार विश्वास और समान हितों के आधार पर अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने के पक्ष में है। मोदी ने व्यापार, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा,रक्षा, आतंकवाद विरोधी उपाय औऱ दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क और बढ़ाए जाने पर जोर दिया।

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