विकास दुबे एनकाउंटर : SC ने जांच के लिए 3 सदस्यीय गठित की जांच आयोग

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नई दिल्ली। विकास दुबे मुठभेड़ मामले में Supream court के पूर्व जज जस्टिस BS चौहान के नेतृत्व में 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन पर मुहर लगाई है। इस कमेटी में high court के पूर्व जज जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व DGP KL गुप्ता शामिल हैं।
आयोग 1 हफ्ते में अपना काम शुरू करेगा
Court ने कहा कि न्यायिक आयोग सभी पहलुओं को देखेगा। आयोग यह भी देखेगा कि गंभीर मुकदमों के रहते दुबे jail से बाहर कैसे था। आयोग 1 हफ्ते में अपना काम शुरू करेगा। Court ने आयोग को 2 महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। Court ने साफ किया कि आयोग के चलते 2-3 July को मुठभेड़ में मारे गए पुलिसकर्मियों को लेकर चल रहे ट्रायल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्र सरकार आयोग को staff उपलब्ध कराएगी। Court ने जांच की निगरानी करने से इनकार कर दिया।
विकास दुबे एनकाउंटर पर SC की योगी सरकार को नसीहत- ऐसी घटना दोबारा ना हो
SC ने UP सरकार से कहा कि वे ये सुनिश्चित करें कि आगे से ऐसी घटना दोबारा नहीं हो। सुनवाई के दौरान Yogi सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इलाहाबाद के रहने वाले SC के पूर्व जज जस्टिस BS चौहान से न्यायिक आयोग में शामिल होने का आग्रह किया गया है। वे इससे सहमत हैं। UP सरकार ने पूर्व DGP KL गुप्ता का नाम भी प्रस्तावित किया। तुषार मेहता ने कहा कि कमेटी विकास दुबे के एनकाउंटर के साथ पूरे मामले को देखेगी। यह भी देखा जाएगा कि दुबे को कौन लोग संरक्षण दे रहे थे। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण पहलू यही है कि इतने गंभीर मुकदमों के रहते वो jail से बाहर कैसे था?
याचिकाकर्ता ने नाम तय किए जाने पर एतराज जताया
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने UP सरकार की तरफ से आयोग के सदस्यों के नाम तय किए जाने पर एतराज जताया। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने जस्टिस चौहान के साथ काम किया है। शायद मैं भी अपनी तरफ से उनका ही नाम सुझाता। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 20 July को संकेत दिया था कि वो इस मामले में Yogi सरकार की ओर से बनाई गई न्यायिक कमेटी का पुर्नगठन करेगा। सुनवाई के दौरान SC ने कहा था कि क़ानून का शासन कायम करना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है।गिरफ्तारी, ट्रायल और फिर अदालत से सजा, यही न्यायिक प्रकिया है। Court ने कहा कि कानून का शासन हो तो पुलिस कभी हतोत्साहित होंगी ही नहीं। Court ने पूछा था कि इतने केस लंबित रहने के बावजूद विकास दुबे को ज़मानत कैसे मिल गई।
ये पहलू भी देखा जाए कि CM, उप-मुख्यमंत्री जैसे लोगों ने क्या बयान दिए?
Court ने कहा कि ये पहलू भी देखा जाए कि CM, उप-मुख्यमंत्री जैसे लोगों ने क्या बयान दिए? क्या उनके कहे मुताबिक वैसा ही पुलिस ने भी किया? दरअसल सुनवाई के दौरान याचिकर्ताओं ने एनकाउंटर को लेकर दिये इन बयानों का हवाला देते हुए UP सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की थी। यूपी सरकार ने पिछले 17 जुलाई को विकास दूबे एनकाउंटर मामले में SC में जवाब दाखिल कर एनकाउंटर को सही बताया था। यूपी सरकार ने कहा है कि एनकाउंटर को फर्जी नहीं कहा जा सकता। इसे लेकर किसी तरह का संशय नहीं रहे इसके लिए सरकार ने सभी तरह का कदम उठाया है।
2 याचिकाएं दायर की गई थीं
इस मामले में 2 याचिकाएं दायर की गई थीं। एक याचिका Supream Court के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने दायर की थी। इस याचिका में 2 July को 8 पुलिस वालों की हत्या के मामले में भी CBI या SIT से जांच कराने की मांग की गई है। अनूप अवस्थी का कहना था कि पुलिस, राजनेता और अपराधियों के गठजोड़ की तह तक पहुंचना ज़रूरी है। दूसरी याचिका NGO पीपुल्स युनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने दायर करके इस एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि त्वरित न्याय के नाम पर पुलिस इस तरह कानून अपने हाथ में नहीं ले सकती है।

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