राज्यसभा में हंगामे के साथ कृषि सुधार विधेयक पास हुआ

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नई दिल्ली। राज्यसभा में कृषि संबंधी विधेयकों को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच पास कर दिया गया है। लोकसभा से पहले ही पास हो चुके कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी है।

उपसभापति का माइक तोड़ने की कोशिश
इससे पहले वोटिंग के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने वेल में जाकर जमकर नारेबाजी की। तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने उपसभापति हरिवंश का माइक तोड़ने की कोशिश की। उन्होंने सदन की रूल बुक फाड़ दी। सदन की कार्यवाही जारी रखने के लिए मार्शलों को बुलाना पड़ा। 10 मिनट तक सदन की कार्यवाही स्थगित करने के बाद फिर से वोटिंग प्रक्रिया शुरू हुई और हंगामे के बीच ही विधेयकों सरकार ने पास करा लिया।

कृषि मंत्री बोले, किसानों की जिंदगी बदल जाएगी
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन के पटल पर विधेयक रखते हुए कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों का संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नहीं है।

राहुल ने कृषि विधेयकों को बताया ‘काला कानून’
केंद्र द्वारा लाए गए कृषि से जुड़े तीन विधेयकों पर सरकार को भारी विरोध झेलना पड़ रहा है।कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन कृषि विधेयकों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। रविवार को राहुल ने tweet कर कृषि विधेयक को काला कानून बताया। उन्होंने लिखा, “मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले कानून’ से किसानों को APMC/किसान मार्केट खत्म होने पर MSP कैसे मिलेगा? MSP की गारंटी क्यों नहीं? मोदी जी किसानों को पूंजीपतियों का ‘गुलाम’ बना रहे हैं, जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।”

केजरीवाल बोले- सब मिलकर बिल का विरोध करें
आम आदमी पार्टी ने भी किसानों से जुड़े बिल का विरोध किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके सभी विपक्षी दलों से इस बिल के विरोध में voting करने को कहा। आप सांसद संजय सिंह ने बिल को काला कानून बताया। यह भी कहा कि आने वाले समय में कृषि पूंजीपतियों के हाथ में चली जाएगी।

संजय राउत का सवाल- क्या अफवाह पर ही मंत्री ने इस्तीफा दे दिया
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि देश में 70 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं। पूरे लॉकडाउन में किसान ही काम रहे थे। सरकार क्या भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल किसान विरोधी है तो पूरे देश में विरोध क्यों नहीं हो रहा है? अगर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा है तो इसका मतलब है कि बिल को लेकर भ्रम, कुछ कन्फ्यूजन भी है। सरकार को इसे दूर करना चाहिए. संजय राउत ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने बताया था कि बिल को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अफवाह पर ही एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया।

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