जम्मू। जम्मू-कश्मीर के डोडा, किश्तवाड़, भद्रवाह, गंडोह, बल्लेसा तथा ठाठरी में सोमवार को एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के इन झटकों से किसी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.0 मापी गई। सोमवार को करीब 12 बजकर 10 मिनट पर भूकंप के झटके लगे। लोगों ने अचानक से जब भूकंप के झटके महसूस किए तो अफतरा-तफरी मच गई और लोग अपने घरों के बाहर निकलकर खुले स्थान पर आ गए। बता दें कि डोडा और किश्तवाड़ में रविवार को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। मौसम विभाग के अनुसार रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.9 मापी गई थी।
चंबा में एक घण्टे के भीतर भूकम्प के तीन झटके, लोग सहमे
वहीं हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में सोमवार को एक घंटे के भीतर तीन बार भूकम्प के झटके महसूस किए गए। इस वजह से इलाके के लोग सहमे हुए हैं। हालांकि, भूकम्प से जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक मनमोहन सिंह बोले
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया कि भूकम्प का पहला झटका दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर आया, जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर पांच रही। इसका केंद्र जम्मू-कश्मीर और चम्बा के सीमावर्ती क्षेत्र में जमीन से पांच किलोमीटर नीचे दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि दूसरा झटका 12 बजकर 40 मिनट पर लगा, जिसकी तीव्रता 3.2 मापी गई। इसके बाद 12 बजकर 57 मिनट पर 2.7 की तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किए गए।
मनमोहन ने बताया कि तीन बार आए भूकम्प का केंद्र जमीन से पांच किलोमीटर नीचे चम्बा और जम्मू कश्मीर का सीमावर्ती इलाका ही रहा। भूकम्प से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है लेकिन दहशत के कारण लोग घरों से बाहर आ गए। इससे पहले बीते रविवार को भी चम्बा में दो बार भूकम्प आया था। चंबा में इससे पहले बीते 22 अगस्त को 2.7 की तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किए गए थे। इससे पूर्व विगत 25 जुलाई को भी यहां भूकम्प आया था। चंबा और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ वर्षों से कई बार कम तीव्रता के भूकम्प के झटके महसूस किए जाते रहे हैं।
भूकंप आने की ज्यादा संभावना
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील जोन-4 और जॉन-5 में स्थित है। ऐसे में यहां पर भूकंप आने की ज्यादा संभावना रहती है।संकेतों के मुताबिक एक भयानक भूकंप कभी भी आ सकता है। साल 1905 में कांगड़ा और चंबा जिलों में आए विनाशकारी भूकंप से 10 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।