चंद्रयान-2 : विक्रम लैंडर से जल्द संपर्क होने की उम्मीद बढ़ गई है। इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की मदद के लिए अब अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी सामने आई है।
इसरो अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने की लगातार कोशिश कर रहा है। हालांकि चंद्रमा की सतह पर विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक 6 दिन गुजर चुके हैं। हालांकि अभी तक विक्रम से संपर्क नहीं हो पाया है।
अब विक्रम लैंडर से संपर्क करने में नासा भी इसरो की मदद कर रहा है। इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है।
नासा अपने मून ऑर्बिटर की मदद से विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने नासा के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया कि नासा चंद्रयान-2 के उड़ान भरने से पहले और बाद की तस्वीर को इसरो के साथ साझा करेगा। साथ ही नासा चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट के आसपास की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहा और इसरो से साझा करेगा।
समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इसरो के एक अधिकारी ने हवाले से बताया कि लैंडर विक्रम के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह कोशिश तभी तक की जाएगी, जब सूरज की रोशनी उस क्षेत्र में होगी, जहां विक्रम उतरा है। इसका मतलब यह हुआ कि लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश 20-21 सितंबर तक ही की जाएगी।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि विक्रम से जल्द से जल्द संपर्क कर लिया जाएगा। इसरो बेंगलुरु के पास बयालालू में अपने भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) की मदद से विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। खगोलविद स्कॉट टायली ने भी ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित होने की संभावना जताई है।
स्कॉट टायली वही हैं, जिन्होंने साल 2018 में अमेरिका के मौसम उपग्रह (वैदर सैटेलाइट) को ढूंढ निकाला था। यह इमेज सैटेलाइट नासा द्वारा 2000 में लॉन्च की गई थी, जिसके पांच साल बाद इससे संपर्क टूट गया था।