सजा-ए-मौत : आखिरी बार 1983 में यहां दी गई थी 4 हत्यारों को एक साथ फांसी, अब निर्भया केस में होगा ऐसा

0
1016

पुणे। दिल्ली कोर्ट निर्भया केस के चारों गुनहगारों का डेथ वारंट जारी कर चुकी है। अदालत ने चारों दोषियों को एक साथ फांसी दिए जाने की तारीख 22 जनवरी तय की है। देश में करीब 36 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब किसी मामले में चार दोषियों को एक ही दिन फंदे पर लटकाया जाएगा। पुणे में 10 लोगों की लूट के बाद हत्या करने वाले 4 सीरियल किलर राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, संतराम कनहोजी और मुनावर शाह को 25 अक्टूबर 1983 में यरवडा सेंट्रल जेल में सजा-ए-मौत दी गई थी।

पुणे शहर में जनवरी 1976 से 1977 के बीच 10 लोगों की हत्याएं हुई थीं। तब यह केस अच्युत जोशी-अभयंकर सीरियल किलिंग के नाम से सुर्खियों में आया था। दोषियों का एक साथी सुभाष चांडक सरकारी गवाह बन गया था। हत्यारे पुणे स्थित अभिनव कला महाविद्यालय में कमर्शियल आर्ट के छात्र थे। लेकिन शराब का नशा और टू व्हीलर का शौक पूरा करने के लिए उन्होंने जरायम की दुनिया में कदम रखा था।

पहली हत्या- 16 जनवरी 1976
हत्यारों ने अपने क्लासमेट प्रसाद हेगड़े को अगवा कर उसके पिता से फिरौती वसूलने की साजिश रची थी। वे उसे बहला-फुसलाकर जक्कल के टीन शेड में ले गए और उससे पिता के नाम चिट्ठी लिखवाई कि उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा है। इसके बाद हत्यारों ने प्रसाद का गला घोंट दिया और शव को लोहे के बॉक्स में बंद कर एक झील में फेंक दिया था। अलगे ही दिन उन्होंने प्रसाद की चिट्ठी पिता को सौंप दी थी।

इसके बाद 6 महीने में 9 हत्याएं कीं
हत्यारों ने 31 अक्टूबर 1976 से 23 मार्च 1977 तक और 9 लोगों को मौत के घाट उतारा था। इस दौरान वे लूटपाट के लिए कई घरों में घुसे। यहां परिवार को बंधक बनाकर रस्सी से उनका गला घोंटा और कीमती सामान लूटकर ले गए। इन बर्बर हत्याओं से पूरे महाराष्ट्र में सनसनी फैल गई थी।

दहशत में लोग शाम 6 बजे के बाद घरों से नहीं निकलते थे
सीरियल किलिंग की जांच करने वाले एसीपी (Retired) शरद अवस्थी बताते हैं- ”मुझे याद है जब हत्यारों को फांसी की सजा सुनाई गई थी, तब कोर्ट परिसर में लोगों की भीड़ मौजूद थी।” दूसरी ओर, पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता बालासाहेब रुनवल कहते हैं कि सिलसिलेवार हत्याओं से शहर में डर का माहौल बन गया था। लोग शाम 6 बजे के बाद घरों से नहीं निकलते थे। जब दोषियों को लेकर अदालत सुनवाई शुरू हुई, तब इसकी खबरें अखबारों में बड़े पैमाने पर पढ़ी जाती थीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here