नई दिल्ली। पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का शनिवार दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में निधन हो गया। जेटली लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। राजधानी दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज(एम्स) में उनका उपचार चल रहा था। अरुण जेटली 66 वर्ष के थे। पूर्व वित्तमंत्री के कार्यकाल में कई ऐसे आर्थिक फैसले लिए गए, जिनके लिए देश उनको हमेशा याद रखेगा।
गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी):
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल में एक देश-एक टैक्स वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का सपना पूरा हुआ। देश में एक जुलाई,2017 से जीएसटी लागू हुआ। इसके लागू होने के बाद पूरे देश में विभिन्न उत्पादों पर कर की दरें एक समान हो गई।
इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड:
लोन नहीं चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के भीतर बकाये की वसूली के लिए जेटली इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड लेकर आए। सबसे पहले यह विधयेक 21 दिसंबर,2015 को प्रकाशित हुआ था। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 28 मई,2016 को यह विधयेक लागू हुआ था। इस विधयेक के लागू होने के बाद बैंकों और अन्य लेनदारों को दिवालिया कंपनियों से वसूली में मदद मिल रही है। ऐसे में 28 फरवरी,2019 तक इस कानून के तहत दिवालिया कंपनियों से 1.42 लाख करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है।
नोटबंदी का ऐलान:
अरुण जेटली के ही कार्यकाल में ही आठ नवंबर,2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। इसके तहत मोदी ने एक हजार और 500 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। इसके बाद पैदा हुई स्थिति को पूर्व वित्तमंत्री जेटली ने बैंकों के साथ समन्वय कर सुलझाया और नोटबंदी को सफल बनाया।
डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम:
देश में गरीबों को लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाओं के तहत सब्सिडी दी जा रही थी, जिसमें भ्रष्टाचार की बड़ी शिकायतें थीं। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सब्सिडी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाभार्थियों को सीधे बैंक अकाउंट में सब्सिडी का पैसा देने की योजना बनाई। इस योजना को लागू भी किया गया लेकिन इसके अनुकूल परिणाम नहीं मिले। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अरुण जेटली के नेतृत्व में इस योजना को सख्ती से लागू किया गया। देश में आज सभी योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है।
प्रधानमंत्री जनधन योजना:
जेटली के कार्यकाल में 28 अगस्त,2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी परिवारों खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू की। इस योजना के तहत लोगों के घर-घर जाकर बैंक अकाउंट खोले गए। आंकड़ों के अनुसार, जनधन योजना के तहत अब तक करीब 33 करोड़ जनधन अकाउंट खोले जा चुके हैं। इसमें 50 फीसदी से ज्यादा खाते महिलाओं के हैं।