समर्थ भारत के लिये सशक्त महिला की भागीदारी जरूरी : रेखा चूडासमा

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लखनऊ (छविनाथ यादव)। भारत की महिलाएं राष्ट्र की प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे सामाजिक, शैक्षणिक और धार्मिक क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं। माता, पत्नी, बहन व बेटी सभी भूमिकाओं में भारत की संस्कृति, संस्कार और परम्पराओं के संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी महिलाओं की है। यह बातें विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की बालिका शिक्षा की अखिल भारतीय संयोजिका रेखा चूडासमा ने कहीं। वे सोमवार को विद्याभारती पूर्वी उप्र क्षेत्र के निरालानगर स्थित कार्यालय में मीडिया को संबोधित कर रही थीं। उन्?होंने कहा कि समर्थ भारत के लिये सशक्त महिला की भागीदारी को सुनिश्चित करना ही होगा। घर के चूल्?हे चौके से लेकर अंतरिक्ष तक महिलाएं अपनी जिम्मेदारी पूरी दृढ़ता के साथ निभा रही हैं। रेखा चूडासमा ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए मूल सिद्धांत हैं, महिलाओं को सामाजिक और राजनीतिक अधिकार, वित्तीय सुरक्षा, न्यायिक शक्ति और वे सारे अधिकार, जो पुरुषों को प्राप्त हैं वह मिलें। महात्मा गांधी ने कहा था, जब पुरूष शिक्षित होते हैं तो एक परिवार शिक्षित होता है लेकिन जब नारी शिक्षित होती है तो दो परिवार शिक्षित होते हैं। सशक्?त महिलाएं ही एक सशक्?त समाज और सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती हैं।
उन्?होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण में हम उसी क्षमता की बात कर रहे हैं जहां महिलाएं सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिये महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है। फैसले, अधिकार, विचार आदि सभी पहलुओं से महिलाओं को अधिकार देना उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिये है। समाज में सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को बराबरी में लाना होगा। देश, समाज और परिवार के उज्ज्वल भविष्य के लिये महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वच्छ और उपयुक्त वातावरण की जरुरत है, जिससे कि वो हर क्षेत्र में अपना खुद का फैसला ले सकें। चाहे वे स्वयं, देश, परिवार या समाज किसी के लिये भी हो। महिला सशक्तिकरण देश को पूरी तरह से विकसित बनाने तथा विकास के लक्ष्य को पाने के लिये एक जरुरी हथियार के रूप में है।
चूडासमा ने कहा कि भारत प्राचीन समय से ही अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिये जाना जाता है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता प्राचीन काल से ही दी जाती रही है।
इस अवसर पर विद्याभारती पूर्वी उप्र क्षेत्र के क्षेत्रीय बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर एवं भारतीय शिक्षा समिति अवध प्रांत के प्रदेश निरीक्षक राजेंद्र बाबू जी भी मौजूद रहे।