लखनऊ(छविनाथ)। समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा का शुक्रवार को शाम साढ़े छह बजे निधन हो गया। तबीयत खराब होने पर शुक्रवार दोपहर दो बजे उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बेनी बाबू के नाम से प्रसिद्ध वर्मा समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में थे और मुलायम सिंह यादव के निकटस्थ माने जाते थे। बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य थे। उनके निधन पर मुलायम व सपा अध्यक्ष अखिलेश समेत कई नेताओं ने शोक जताया है। केंद्र में इस्पात मंत्री रह चुके 79 वर्षीय बुजुर्ग समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा को डेढ़ माह में दो बार इलाज के लिए भर्ती कराया गया जा चुका था। वह सांस समेत कई बीमारियों से पीडि़त थे। मेदांता अस्पताल लखनऊ के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर के मुताबिक करीब डेढ़ माह से उनका उपचार चल रहा था। उन्हें पैंक्रिटाइटिस की समस्या थी। डॉक्टरों ने पैंक्रियाज में कैंसर की संभावना जताई थी। वह गठिया के साथ-साथ गुर्दे की बीमारी से भी पीडि़त थे। शुक्रवार दोपहर वह बेहोशी की हालत में लाए गए थे, डॉक्टरों ने काफी प्रयास किया मगर, शाम साढ़े छह बजे उनका निधन हो गया। बाराबंकी के मूल निवासी बेनी वर्तमान में गोमतीनगर के विराम खंड में रह रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजे बाराबंकी में उनके गांव में किया जाएगा। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा कि बेनी बाबू के निधन से पार्टी को बड़ी क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। लोकसभा में पांच बार के सांसद रहे बेनी प्रसाद वर्मा उत्तर प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा थे। बेनी प्रसाद वर्मा का जन्म 11 फरवरी, 1941 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बाराबंकी से पूरी हुई। इसके बाद वह लखनऊ आ गए। यहां से उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और फिर एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। बेनी प्रसाद वर्मा सबसे पहले वर्ष 1974 में दरियाबाद क्षेत्र से विधानसभा सदस्य चुने गए थे। बेनी प्रसाद वर्मा कई साल तक यूपी की सपा सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे। देवेगौड़ा सरकार के दौरान उन्होंने वर्ष 1996 से 1998 तक केंद्र में संचार मंत्री का पद संभाला। 1998, 1999, 2004 और 2009 में गोंडा से सांसद चुने गए, जबकि यूपीए सरकार के दौरान 12 जुलाई, 2011 को इस्पात मंत्री भी बनाए गए। पिछले लोकसभा चुनाव में हारने के बाद बेनी वर्मा कांग्रेस में हाशिए पर थे।
बेनी प्रसाद वर्मा अपने बेटे के लिए वर्ष 2007 में टिकट चाहते थे, लेकिन अमर सिंह की वजह से बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को टिकट नहीं मिल सका। इसी वजह से नाराज बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और समाजवादी क्रांति दल बनाया। इसके बाद साल 2008 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 2016 में वह एक बार फिर समाजवादी पार्टी मे शामिल हो गए थे।