प्रियंका वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी को कोरोना परीक्षण-इलाज की सुविधा बढ़ाने को लिखा पत्र

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लखनऊ(छविनाथ यादव)। प्रदेश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इसमें कोविड 19 महामारी के परीक्षण और इलाज के लिए सुविधाओं को बढ़ाने के साथ अपने सुझाव दिये हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को ट्वीट कर कोरोना का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उन्हें इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि भूख का आइसोलेशन नहीं हो सकता।
प्रियंका वाड्रा ने अपने पत्र में लिखा है कि पूरे देश समेत उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस का कहर अपने पैर पसार रहा है। आज हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था के सामने ये बड़ी चुनौती है कि किस तरह से वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की पहचान कर उपचार कर सकें। संक्रमण का आगे बढऩा रोक सकें। उन्होंने पत्र में लिखा कि संक्रमण को रोकने के लिए स्क्रीनिंग और टेस्टिंग की संख्या को बढ़ाना एक बहुत ही कारगर उपाय है। 6 करोड़ की आबादी वाले दक्षिण कोरिया ने हर 1000 लोगों पर करीब 6 लोगों की टेस्टिंग की और वायरस के संक्रमण को रोकने में सफलता हासिल की है। राजस्थान के भीलवाड़ा में युद्ध स्तर पर काम हुआ और 9 दिनों के भीतर 24 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करके ज्यादा से ज्यादा जांचें की गईं। उत्तर प्रदेश की आबादी लगभग 23 करोड़ के आस-पास है जबकि टेस्टिंग के लिए गए सैम्पलों की संख्या केवल 7000 के आस-पास है। आबादी के हिसाब से प्रदेश में हो रही जांचों की संख्या अभी बहुत कम है। टेस्टिंग की संख्या बढ़ाना एक रामबाण साबित हो सकता है। प्रियंका वाड्रा ने लिखा कि हमें माइल्ड टू मॉडरेट हाई रिस्क केसेस को युद्धस्तरीय तत्परता के साथ इलाज करना पड़ेगा, जिससे हमारे आईसीयू पर कम दबाव पड़े। साथ ही अपने आइसोलेशन वार्ड और क्वारंटाइन सेन्टर्स को मानवीय गरीमा के अनुरूप बनाना पड़ेगा। प्रदेश के कई सारे क्वारेंटाइन केंद्रों से बदहाली की खबर आ रही है। कई जगहों पर खाने, रुकने व साफ सफाई का इंतजाम ठीक नहीं है। कृपया इसको संज्ञान में लेकर व्यवस्थित करवाने की पूरी कोशिश करें। इन केंद्रों में जो गरीब लोग हैं उनके परिवार को गारंटी के साथ भोजन, राशन व भत्ता दिया जाय ताकि इन व्यक्तियों को लेकर परिवार के सदस्यों की चिंता को कम किया जा सके। उन्होंने लिखा है कि सामाजिक स्तर पर संक्रमण की खबरें आना शुरू हो गईं हैं। यह देखने में आ रहा है कि वह शहरी क्लस्टर्स, जहां घनी आबादी है, उनमें संक्रमण ज्यादा फैल रहा है। ऐसी कई खबरें आ रही हैं कि संक्रमित व्यक्ति अपनी बीमारी छुपाने की भी कोशिश कर रहे हैं। किंचित यह कोरोना के बारे में फैले सामाजिक भय के चलते हो रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि खासतौर से इन क्लस्टर्स में युद्धस्तर पर सही सूचना दी जाए और अफवाहों व गलत धारणाओं के फैलने पर तत्काल रोक लगे। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं कल से मास्क पहनना अनिवार्य घोषित करने का हवाला देते हुए अपील की कि कृपया युद्धस्तर मास्क व सेनिटाइजर का वितरण सुनिश्चित करें व लोगों को स्पष्ट रूप से बताया जाय कि उन्हें मास्क व सेनिटाइजर कहां से और कैसे मिलेंगे। इसके अलावा यह जरूरी है कि सामाजिक स्तर पर आम लोगों में भरोसा और विश्वास जागने के लिए सरकार ऐसे कदम उठाए जिससे कि लोग स्वयं सामने आएं। ऐसा करने का एक तरीका यह हो सकता है कि इन क्षेत्रों में काम कर रहे एनजीओ, सामाजिक संगठनों, अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की मदद ली जाए, उनसे विचार-विमर्श करके इस लड़ाई में शामिल किया जाय। कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने कहा है कि कांग्रेस इस संकट में सदैव मदद के लिए तैयार है। इस महामारी पर विजय लोगों का भरोसा जीतकर ही हासिल की जा सकती है। डर फैला करके या अलग-थलग करके नहीं बल्कि वास्तव में प्रशासन की जिम्मेदारी है कि लोगों की मदद कर उन्हें सहज बनाए। प्रियंका ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमत्र्य सेन का हवाला देते हुए लिखा कि वह कहते हैं कि कोरोना जैसी महामारी से लड़ाई में सहभागी प्रशासन, सही जानकारियों के आधार पर अधिकतम जनसंवाद और ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सबसे जरूरी है। प्रियंका वाड्रा ने लिखा है कि इस महामारी से लडऩे में हम साथ हैं। कोरोना वायरस की कोई जाति और धर्म नहीं है। इसका असर सब पर एक सा है। इस युद्ध में हमें अपनी राजनीतिक सोच को परे रखकर पूरी जनता को एक साथ लाने वाले, भयमुक्त वातावरण बनाने वाले कदम उठाने की बहुत आवश्यकता है। कांग्रेस पार्टी का हर नेता और हर कार्यकर्ता जनता का साथ देने के लिए तैयार है। उधर अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना का राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे मूल मुद्दों से ध्यान हटता है और सरकार से पूछे जाने वाले सही क्वारैंटाइन, स्क्रीनिंग, संक्रमण की जांच, इलाज तथा दूध-दवाई, सब्जी-खाद्यान्न की आपूर्ति जैसे उचित प्रश्न पीछे छूट जाते हैं। सरकार याद रखे भूख का आइसोलेशन नहीं हो सकता।

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