लखनऊ। शिक्षक-गुरु के समर्पण से ही सभी का ज्ञानवर्धन होता है। राष्ट्र और समाज जीवन के अंतः करण के अंधकार को दूर करता है गुरु। गुरु ज्ञान व समर्पण की पहचान है। हम शिक्षक कुल से हैं जो सबसे पवित्र है।
यह बातें राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की कार्यकारिणी की बैठक एसआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस सीतापुर रोड, के सभागार में ‘‘गुरु वंदन कार्यक्रम’’ में मुख्य अतिथि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी नहीं असरदार कार्य कर रही है। दो वर्ष के कार्यकाल में नकल व नकल माफियाओं को समाप्त करके नकल विहीन परीक्षा कराने का कार्य किया है। परीक्षा केंद्रों के चयन व शिक्षकों की स्थानांतरण नीति को आधुनिक तकनीक से पारदर्शी बनाया गया है। शिक्षक समुदाय अपने तबादले को लेकर दर-दर भटकता था जिसे अब मोबाइल के द्वारा आसान कर दिया गया है। उसके स्थान तरण की जानकारी उसको अपने ही घर पर मोबाइल से मिल जाती है। सरकार शिक्षा ने आमूल चूल परिवर्तन करने के लिए महंगी पुस्तकों को रोकने के लिए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को लागू करके सस्ती पुस्तके उपलब्ध कराने का कार्य किया। शिक्षा विस्तार के लिए 2 वर्ष में 205 नए विद्यालय व 47 महाविद्यालय स्थापित कर उनमें शिक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया गया। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध गंगा पोर्टल खोल कर तथा दीनदयाल उपाध्याय शोध केंद्रों की स्थापना करके परिवर्तन के दौर को जारी रखा गया। फीस अधिनियम बनाकर मनमानी फीस वसूलने के कार्य पर रोक लगाई गई है तथा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम बनाया गया है जिससे निश्चित ही शिक्षा का प्रवाह तेज होगा। यह सारे परिवर्तन धीरे-धीरे परिणाम की ओर बढ़ रहे हैं। महासंघ द्वारा समय-समय पर जो भी मार्गदर्शन दिया जा रहा है सरकार उसको धीरे-धीरे अमल पर लाने का प्रयास कर रही। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की मांग पर ही अशासकीय महाविद्यालयों के 1000 शिक्षकों को नियमित किया गया है।
मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ओमपाल सिंह ने कहा कि हमारा यह संगठन देश के एक करोड़ शिक्षकों के साथ है और शिक्षा व शिक्षक समाज व सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है। सृष्टि के संरक्षण के लिए मानवतायुक्त मनुष्य बनना है, तो गुरुपूजा महत्वपूर्ण है। बुद्धि के अहंकार के कारण मनुष्य गड़बड़ करता है। इसलिए ’गुरुपूजा’ के द्वारा मानव जीवन में त्याग, समर्पण भाव निर्माण होता है। शिक्षक होने का हमेशा गौरव महसूस करें और मन में कभी हीनता न आने दें। गुरु की गरिमा और गौरव का सदा ध्यान रखे। उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन दशकों से शिक्षक समाज पीड़ित है क्योंकि उसे सरकार व समाज दोनों के द्वारा धमकाया जा रहा है। शिक्षक बोझिल हो रहा है। शिक्षा के पवित्र और राष्ट्र निर्माण के कार्य में उसकी भूमिका अहम होते हुए भी कमजोर हो रही है। जिला इकाइयों से जुलाई माह में गुरु वंदन कार्यक्रम, जनवरी माह में कर्तव्य बोध व भारतीय नव संवत्सर में राष्ट्र गौरव दिवस मनाने और कार्यक्रम आयोजित करने की मौजूद पदाधिकारियों से अपील की।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ निर्मला यादव ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमारा प्रयास ऐसे सुयोग्य नागरिकों का निर्माण करना है जो देश-समाज के लिए अपनी प्रतिभा-क्षमता समर्पित कर भारतीय धवज पताका दुनिया में फहरायें। गुरु वंदन कार्यक्रम के पूर्व प्रादेशिक उच्च एवं माध्यमिक शिक्षा संवर्ग कार्यसमिति की बैठक हुई तथा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। नई शिक्षा नीति के लिए समावेशी व केंद्रीकृत पाठ्यक्रम सहित अनेक बिंदुओं पर कई वक्ताओं ने विस्तार से चर्चा की।