लखनऊ/ नई दिल्ली। एक अप्रैल 2017 से बीएस-3 वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग, सेल या रजिस्ट्रेशन पर लगी रोक से स्टॉक में पड़ी गाड़ियों को निकालने की कवायद जोरों पर है, बीएस-3 मानक वाले वाहनों का पहली अप्रैल से रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद बृहस्पतिवार लखनऊ में भी दोपहिया वाहनों के डीलरों ने बंपर डिस्काउंट की घोषणा कर दी।. देशभर में गुरुवार से ही खासकर दोपहिया वाहनों पर भारी छूट ऑफर की जा रही है.
दिवाली और धनतेरस के ऑफर में भी इतनी गाड़ियां नहीं बिकतीं. न ही कस्टमर को इतने बड़े ऑफर मिलते हैं. फिर भी एक-एक शहर में हजारों की संख्या में गाड़ियां एक ही दिन में लोगों ने खरीद लीं.
बाइक और स्कूटी पर 15 से 20 हजार रुपये तक की छूट पर वाहन लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। देर रात तक शो रूमों में वाहनों की बिक्री हुई। बीएस-3 मानक वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च रात 12 बजे तक होगा।
उतरेठिया स्थित हीरो शोरूम के मालिक मोहित बक्शी ने बताया की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बृहस्पतिवार सुबह कंपनी की तरफ से बम्पर डिस्काउंट की घोषणा वाला ई-मेल आया।
सबसे ज्यादा छूट स्कूटी पर थी। 64 हजार की स्कूटी लोगों को 50 हजार में, 65 हजार की बाइक 54 हजार में बिकी। शाम होते-होते 22 स्कूटी, और आठ बाइक बिक गईं।
शो रूमों में रही ग्राहकों की भारी भीड़
शो-रूम में लगी ग्राहकों की भीड़
शाम तक ग्राहकों की भीड़ रही, लेकिन शो-रूम खाली हो चुके थे। तेलीबाग में स्थित होंडा शोरूम के मैनेजर के अनुसार स्कूटी पर 15 हजार और बाइक पर लगभग 20 हजार की छूट दी गई।
उतरेटिया में नामधारी बजाज के शोरूम मे सन्नाटा रहा। दरअसल कंपनी के पास स्कूटी नहीं थी। वहीं बाइक पर सबसे कम छूट की घोषणा कंपनी ने की थी। शोरूम के मैनेजर अमित मिश्र के अनुसार बीएस-3 की लगभग 30 बाइक उनके पास मौजूद हैं, कंपनी ने 3 हजार से सात हजार तक छूट के साथ इंश्योरेंस का ऑफर दिया है।
क्या है बीएस 3?
बीएस के मायने एमिशन स्टैंडर्ड से है. बीएस यानी भारत स्टेज से पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैलाती है.
बीएस के जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है.
बीएस मानक सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है. देश में चलने वाली हर गाड़ियों के लिए बीएस का मानक जरूरी है.
बीएस के साथ जो नंबर होता है उससे यह पता चलता है कि इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है. यानी जितना बड़ा नंबर उतना कम प्रदूषण.
भारत में एनसीआर और कुछ दूसरे शहरों में बीएस 4 लागू है. वैसे देश भर में बीएस 3 लागू है.
विदेश में क्या है मानक?
यूरोप में इस तरह के मानक को यूरो कहते हैं. वहीं अमेरिका में ये मानक टीयर 1, टीयर 2 है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर?
सुप्रीम कोर्ट ने अब देश भर में बीएस 3 की गाड़ियों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है. यानी अब देश भर में बीएस 4 का नियम पूरी तरह लागू हो जाएगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की चपेट में आने वाले कुल 8 लाख बीएस 3 वाहनों में अकेले टू-वीइलर्स की तादाद 6.71 लाख है. ऐसे में डीलरों को इन्हें बेचने के लिए महज दो दिन का वक्त मिला. कोर्ट के आदेश के बाद कंपनियां पस्त हैं तो ग्राहकों की बल्ले-बल्ले हो रही है. अगर आपने बंपर छूट का फायदा नहीं उठाया है तो आपके पास आज तक का वक्त है, लेकिन भविष्य के जोखिमों के प्रति भी सतर्क रहना जरूरी है. अभी का मुनाफा, बाद की मुश्किल नहीं बन जाए, इसलिए इन महत्वपूर्ण बातों पर जरूर गौर कर लें.
- – सूत्रों के मुताबिक, कुछ जगहों पर और खासकर महानगरों को छोड़कर, आरटीओ दफ्तर ने डीलरों को एक विकल्प दिया है कि वो उन बीएस 3 वाहनों की इनवॉइस बना लें जो अब तक नहीं बिक पाए और एक सप्ताह में ग्राहकों के डीटेल भर दें. ऐसे में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे महानगरों में कारों पर ऐसी छूट नहीं पा सकते क्योंकि इन जगहों पर अब बीएस 3 वाहनों के रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकते.
- – दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 1 अप्रैल से पहले बेचे गए वाहनों के रजिस्ट्रेशन उन जगहों पर हो सकते हैं जहां बीएस 3 वाहनों के लिए रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिली हुई है. वैसे वाहन जो 1 अप्रैल से पहले खरीदे गए, लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन 1 अप्रैल के बाद हुआ हो तो उनके लिए इसका प्रमाण देना होगा कि खरीद 31 मार्च की आधी रात से पहले हो गई. ऐसे में एक खरीदार के नाते आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि डीलर आपको एक भी दस्तावेज या इनवॉइसेज 31 मार्च की तारीख के बाद का नहीं दे दे.
- – एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि 2020 तक देश में मौजूदा बीएस 4 से आगे जाकर बीएस 6 उत्सर्जन नियम लागू हो जाएंगे. ऐसे में आपके अभी खरीदे गए बीएसी 3 वाहनों की रीसेल वैल्यू बिल्कुल कम हो जाएगी, बशर्ते सरकार तब बीएस 3 वाहनों की कोई रीसेल पॉलिसी लेकर नहीं आए.
- – एक और जोखिम यह है कि जब देश में बीएस 4 वाहनों के आने के कुछ वर्षों बाद बीएस 3 वाहनों के डिस्पोजल का अनिवार्य नियम बन गया तो आपको इसके रीसेल वैल्यू की चिंता छोड़ किसी तरह कबाड़ में बेचकर ही छुटकारा पाना पड़ सकता है. कुल मिलाकर, छोटे शहरों के लोगों के पास अभी तो बड़ा फायदा उठाने का मौका है, लेकिन भविष्य की चुनौतियां और जोखिम भी हैं.