राखी पर ग्रहण : भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन आज, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

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जन इंडिया परिवार की ओर से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं

लखनऊ। देशभर में सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है। हर साल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल के साथ ही चंद्रग्रहण का साया भी है. 12 साल बाद इस पर्व के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है. राखी के त्योहार के दिन ग्रहण लगेगा तो कई लोगों के मन में कई सवाल हैं कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है? रक्षा बंधन पर इस बार ग्रहण का साया है तो यहां जानिए सारी जानकारी जो आप जानेंगे तो शुभ और सही मुहूर्त में राखी बांध सकते हैं।


राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
 रक्षाबंधन पर सुबह 11:04 मिनट से दोपहर 1:52 तक राखी बांधना शुभ रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद कुमार मिश्र ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस मुहूर्त पर राखी बांधना लाभकारी होगा। इसके बाद चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। यह चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले लगेगा। रात 10:52 मिनट से चंद्रग्रहण लगेगा जोकि अगले दिन रात 12:49 मिनट तक रहेगा।

मंत्र
येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

अर्थ
जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे (राखी), तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना।

रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है रक्षा का बंधन. 
भाई अपनी बहन को हर मुश्किल से रक्षा करने वचन देता है. बहनें अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के सावन माह में पूर्ण चंद्र के दिन होता है, जिसे पूर्णिमा कहा जाता है. इसे पूरे देश में मनाया जाता है. भारत के अलावा राखी मॉरीशस और नेपाल में भी मनाई जाती है।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य …
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद कुमार मिश्र –रक्षाबंधन वाले दिन सुबह 11:04 बजे तक भद्रा भी उपस्थित रहेगी और शास्त्रोक्त दृष्टि से भद्रा काल को शुभ मंगल कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना गया है। इसलिए सुबह 11 बजकर 4 मिनट पर भद्रा समाप्त होने पर ही राखी बांधना शुभ होगा। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा और ग्रहण के सूतक काल को देखते हुए राखी बांधने के लिए सुबह 11 बजकर 4 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक का समय ही विशेष शुभ और मंगल दायक होगा।


इस कारण नहीं है अशुभ भाद्रा
रक्षाबंधन के दिन चन्द्रमा मकर राशि में है और जब चन्द्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होता है, तो भद्रा पाताल लोक में होती है और पाताल लोक की भद्रा का पृथ्वी पर कोई असर नहीं होता। जिसके कारण आप सुबह भी अपने भाई को राखी बांध सकती है।

क्या है चंद्रग्रहण ?
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि ग्रहण काल के दौरान भगवान की आराधना नहीं करनी चाहिए। वहीं इस दौरान कोई शुभ काम नहीं किया जाता। ऐसा माना जाता है कि चंद्रग्रहण कुंवारों के लिए अच्छा नहीं होता है क्योंकि सुंदरता का प्रतीक चंद्रमा तो श्रापित है और जो भी कुंवारा लड़का या लड़की उसे देखता है तो उसकी शादी या तो रूक जाती है या बहुत मुश्किलों से तय होती है। कहा जाता है कि इस दौरान किए गए काम से इंसान का नुकसान और अहित ही होता है इसलिए चंद्रग्रहण से पहले और ग्रहण तक हर अच्छे काम नहीं करने चाहिए।

कहा पड़ेगा चंद्रग्रहण ?

रक्षाबंधन के दिन लगने वाले चंद्रग्रहण का समय 5 घंटे एक मिनट तक होगा लेकिन कुछ जगहों पर ये समय 1 घंटे 55 मिनट तक रहेगा. भारत के अलावा ये चंद्रग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, साउथ-ईस्ट अमेरिका, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, यूरोप और अंटार्कटिका के ज्यादातर हिस्सों में देखा जाएगा. ग्रहण में चंद्रमा का मात्र एक छोटा अंश ही पृथ्वी की छाया के दायरे में आएगा. यह आंशिक ग्रहण भारत के सभी स्थानों से दिखाई देगा.


सूतक में भी बांध सकते है राखी
ग्रहण के दौरान सूतक के समय का खास ध्यान रखना चाहिए। चन्द्रग्रहण में तीन पहर पहले सूतक लगता है और एक पहर तीन घंटे का होता है, यानी इस ग्रहण का सूतक 7 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 52  मिनट पर शुरू होगा। शास्त्रों में माना जाता है कि सूतक के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है कि 1 बजकर 52 मिनट के बाद राखी नहीं बांध सकती है। ऐसा नहीं है आप इस समय भी राखी बांध सकते है। इस बात को शास्त्र में भी कहा गया है।

“एक जरा सा धागा दिलों को जोड़ देता है और इस धागे को रक्षासूत्र कहते हैं. जानिए कौन सी राशिवाले किस रंग का रक्षासूत्र बांधें?

मेष राशि वाले लाल रंग का धागा इस्तेमाल करें

वृषभ राशि वाले सफेद रंग के सूती धागे का इस्तेमाल करें

मिथुन राशि वाले सफेद और हरे रंग का धागा मिलाकर बांधें

कर्क राशि वाले सफेद धागा और लाल धागा मिलाकर बांधें

सिंह राशि वाले सफेद धागा इस्तेमाल करेंकन्या राशि वाले हरे रंग का धागा बांधें

तुला राशि वाले सफेद और नीले रंग के धागे को मिलाकर पहनें

वृश्चिक राशि वाले लोग लाल और नीले रंग के धागे को मिलाकर बांधें

धनु राशि वाले लोग सफेद और पीले रंग का धागा मिलाकर बांधें

मकर राशि वाले पीला और नीला धागा मिलाकर बांधें

कुंभ राशि वाले लोग नीला या काला रंग का धागा बंधवाएं

मीन राशि वाले लोग पीला और लाल रंग का धागा मिलाकर पहनें

विस्तृत में…


    🌷करने योग्य🌷
🌷1. ग्रहण के समय भगवान का चिंतन, जप, ध्यान करने पर उसका लाख गुना फल मिलता है , ग्रहण के समय हज़ार काम छोड़ कर मौन और जप करिए l
🌷2. ग्रहण लगने के पहले खान – पान ऐसा करिए कि आपको बाथरूम में ना जाना पड़े l


    🌷न करने योग्य🌷
🌷❌ 1. ग्रहण के समय सोने से रोग बड़ते हैं l
🌷3. ग्रहण के समय मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए, दरिद्रता आती है l
🌷4. ग्रहण के समय धोखाधड़ी और ठगाई करने से सर्पयोनी मिलती है l
🌷5. ग्रहण के समय शौच नहीं जाना चाहिए, वर्ना पेट में कृमि होने लगते हैं l
🌷6. ग्रहण के समय जीव-जंतु या किसी की हत्या हो जाय तो नारकीय योनि में जाना पड़ता है l
🌷7. ग्रहण के समय भोजन व मालिश करने वाले को कुष्ट रोग हो जाता है l
🌷8. ग्रहण के समय पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि नहीं तोड़ने चाहिए l
🌷9. स्कन्द पुराण के अनुसार ग्रहण के समय दूसरे का अन्न खाने से १२ साल का किया हुआ जप, तप, दान स्वाहा हो जाता है l
🌷10. ग्रहण के समय अपने घर की चीज़ों में कुश, तुलसी के पत्ते अथवा तिल डाल देने चाहिए l
🌷11. ग्रहण के समय रुद्राक्ष की माला धारण करने से पाप नाश हो जाते हैं l

🌷12. ग्रहण के समय दीक्षा अथवा दीक्षा लिए हुए मंत्र का जप करने से सिद्धि हो जाती है ।


    🌷मनुस्मृति🌷
🌷भाई और बहन के लिए रक्षाबंधन (07 अगस्त 2017 सोमवार) एक महापर्व की तरह है। रक्षाबंधन भाई और बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भाई अपनी बहन को प्यार के साथ-साथ कई तरह के उपहार भी देता है। मनु स्मृति में तीन ऐसी चीजों के बारे में बताया गया हैं, जो घर की महिलाओं को देने से घर में शांति और उन्नति बनी रहती है।

 🌷श्लोक-
यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता।

🌷 मनुस्मृति बहन को जरूर दें ये 3 चीजें, हर काम में मिलेगी सफलता, होंगे लाभ

🌷 वस्त्र
वस्त्र यानी कपड़े। सजना-सवरना, श्रृंगार करना ये सब महिलाओं को सबसे प्रिय होता है। मनुस्मृति के अनुसार, जिस घर के पुरुष अपनी पत्नी, माता या बहन को अच्छे वस्त्र प्रदान करते हैं, उस घर पर भगवान हमेशा प्रसन्न रहते हैं। ऐसे घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है और सभी कामों में सफलता मिलती है। स्त्री को घर की लक्ष्मी माना जाता है, अगर महिलाएं गंदे या मैले कपड़े पहन कर रहती हैं या घर के पुरुष अपनी पत्नी, मां या बहन को समय-समय पर अच्छे वस्त्र नहीं प्रदान करते तो ऐसे घर पर लक्ष्मी रूठ जाती है।

🌷आभूषण
आभूषण यानी गहने। गहने महिलाओं की सबसे प्रिय वस्तुओं में से एक है। जिस घर की महिलाएं प्रसन्न रहती हैं, वहां देवताओं का निवास माना जाता है। हर मनुष्य को अपने घर की महिलाओं को सुंदर गहने उपहार में देना चाहिए। जिस घर की महिलाएं अच्छे कपड़े और गहनों से श्रृंगार करती है, वहां कभी दरिद्रता नहीं रहती। ऐसे घर में हमेशा खुशहाली और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

🌷 मधुर वचन
 महिलाओं को पूजनीय माना जाता है। कई ग्रंथों और पुराणों में महिलाओं का सम्मान करने की बात कही गई है। मनुस्मृति के अनुसार, जिस घर में महिलाओं से बुरी तरह से बात की जाती है या उनका सम्मान नहीं किया जाता, ऐसे घर में भगवान भी नहीं रहते। स्त्रियों का सम्मान न करने वाले मनुष्य को हर समय किसी न किसी परेशानी का सामान करना ही पड़ता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा महिलाओं का सम्मान करना चाहिए और अपने घर की स्त्रियों के साथ हर समय प्रेम और आदर से ही व्यवहार करना चाहिए।


🌷रक्षा-सूत्र बाँधने का उत्तम समय🌷
🌷 07 अगस्त को सुबह 11:04 से दोपहर 01:52 तक रक्षा-सूत्र बाँधने के लिए उत्तम समय है, इस समय तक राखी न बाँध पायें तो सूर्यास्त तक अवश्य बाँध ले परंतु चन्द्रग्रहण का सूतक लग जाने के कारण मिठाई आदि कुछ भी खाना-खिलना निषिद्ध है ।
🌷 शास्त्र कहते हैं ग्रहण में भी रक्षाबंधन मनाई जाती है। ग्रहणसूतक का राखी पर कोई प्रभाव नहीं। केवल भद्रा का त्याग कर देना।
🌷 अथ रक्षाबन्धनमस्यामेव पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूत्र्ताधिकोदय व्यापिनी अपराह्ने प्रदोषे वा कार्यम्।। इदं ग्रहणसंक्रांति दिनेपि कर्तव्यं । धर्मसिन्धु
🌷 इदं रक्षाबन्धनं नियतकालत्वाद्भद्रावर्ज्यग्रहणदिनेऽपि कार्यं होलिकावत्। ग्रहसङ्क्रान्त्यादौ रक्षानिषेधाभावात्। सर्वेषामेव वर्णानां सूतकं राहुदर्शने। इति तत्कालीनकर्मपर एव न त्वन्यत्र। अन्यथा होलिकायां का गति: अत एव–नित्ये नैमित्तिके जप्ये होमे यज्ञक्रियादिषु।
उपाकर्माणि चोत्सर्गे ग्रहवेधो न विद्यते।
इति।। नियतकालीने तदभाव इति दिक्।
उपाकर्माणि तद्दिनभिन्नपरं तत्र तन्निषेधादियुक्तं प्राक्।।
निर्णयसिन्धु

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