लखनऊ(छविनाथ)। पुणे विद्यापीठ आकर मैं भावुक हो गया हूँ। इस विद्यापीठ एवं पुणे से मेरी पुरानी स्मृतियाँ जुड़ी है। मैंने यहाँ से बी0काम0 की परीक्षा 1954 में उत्तीर्ण की। इसी एम्पी थियेटर में विद्यार्थी के रूप में पढ़ाई की है। मेरे जीवन में सहयोग देने वाले अनेक मित्र एवं सहयोगियों मुझे पुणे में मिले, जिनमें सी0जी0 वैद्य, राजाभाऊ चितले, रामभाऊ म्हालगी, ग0दि0 माडगूलकर सम्मिलित हैं। मेरे अभिन्न सहयोगियों प्राचार्य सी0जी0 वैद्य और भिडे भी यहां उपस्थित हैं। अपने कालेज में आना आनंद का विषय है। दो दिन पूर्व ही मुंबई में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!Ó के ब्रेल लिपि हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी संस्करणों का लोकार्पण किया है और पुस्तक के जर्मन संस्करण का लोकार्पण आज यहाँ पुणे में हो रहा है। सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ जर्मन भाषा में शिक्षा प्रदान करने का उत्कृष्ट केन्द्र है।
यह विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक रविवार को सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ, पुणे के फग्र्यूसन महाविद्यालय के एम्पी थियेटर में उनकी संस्मरणात्मक पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!! के जर्मन संस्करण के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक एवं उनके परिजन, मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य डॉ0 विनय सहस्रबुद्धे, सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ0 नितीन करमलकर एवं कुलसचिव डॉ0 प्रफुल्ल पवार, पुणे जिला पालक मंत्री चंद्रकांतदादा पाटील, लोकसभा सदस्य गिरीश बापट, पुणे की महापौर मुक्ता तिलक, दैनिक समाचार पत्र ‘सकाल के सम्पादक सम्राट फडणीस, डॉ0 चिं.ग. वैद्य सहित बड़ी संख्या में विशिष्टजन उपस्थित थे।
राज्यपाल ने पुस्तक ‘चरैवति!चरैवेति!! के विषय में बताया कि 80 वर्ष पुराने दैनिक सकाल में छपे उनके संस्मरणों को मित्रों और शुभचिंतकों के आग्रह पर संकलित कर मराठी पुस्तक ‘चरैवति!चरैवेति!! के रूप में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। लोगों से मिले स्नेह और अन्य भाषाओं में भी प्रकाशन के आग्रह पर उन्होंने ‘चरैवति!चरैवेति!! को अब तक मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, अरबी, फारसी एवं जर्मन सहित 10 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में हिन्दी, अंग्रेजी एव मराठी भाषा में प्रकाशित कराया है। उन्होंने बताया कि पुस्तक के असमिया भाषा संस्करण का लोकार्पण गुवाहाटी में 6 जुलाई को होना है।
नाईक ने पुस्तक के जर्मन संस्करण पर प्रकाश डालते हुये बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में उनकी पुस्तक ‘चरैवति!चरैवेति!! के उर्दू संस्करण पर आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में बर्लिन विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो0 आरिफ नकवी भी उपस्थित थे। बाद में जर्मनी लौटने पर प्रो0 नकवी ने उन्हें फोन कर पुस्तक के जर्मन भाषा में प्रकाशन की अनुमति मांगी। यह पूछने पर कि जर्मन भाषा में कौन इसे पढ़ेगा, प्रो0 आरिफ नकवी ने कहा कि पुस्तक में मानवीय मूल्यों का समावेश है। जर्मन में पुस्तक प्रकाशन होने पर वहाँ लोगों को यह जरूर पसंद आयेगी। राज्यपाल ने कहा कि प्रो0 नकवी का जवाब सुनकर उन्होंने स्वीकृति प्रदान कर दी।
राज्यपाल ने अपने राजनैतिक जीवन का उल्लेख करते हुये बताया कि मैं आज जो भी हूँ उसका श्रेय रामभाऊ महाल्गी को जाता है। वे मेरे राजनैतिक जीवन के शिल्पकार थे। एक आदर्श जनप्रतिनिधि कैसा होता है उन्होंने समझाया था। राज्यपाल ने बताया कि अटल जी ने कहा था कि कैंसर के बाद मिला बोनस जीवन समाज सेवा के लिये समर्पित करें। मैंने अपने जीवन में वही करने की कोशिश की। राज्यपाल ने ब्रेल लिपि संस्करण में प्रस्तावना लिखने हेतु मोहन भागवत को धन्यवाद देते हुये प्रस्तावना के अंश भी पढ़कर सुनाये। उन्होंने ‘चरैवेति!चरैवेति!!Ó को उद्धृत करते हुये कहा कि निरंतर चलते रहने में ही सफलता मर्म निहित है।
मुख्य अतिथि डॉ0 विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि राम नाईक आत्मीयता के साथ अनुशासन के पक्षधर रहे हैं। उनमें कुशल समन्वय एवं संगठन की शक्ति है। महाराष्ट्र की तीन राम में से एक हैं। राम नाईक ने भी अपने जीवन में अनेक नये प्रयास किये हैं। उन्होंने अपने कार्य एवं व्यवहार से राज्यपाल कैसा हो इसका सफल परिचय दिया है। राज्यपाल रहते हुये राजभवन में नई कार्य संस्कृति विकसित की है। प्रतिभाशाली रचनाकार पुरानी परिपाटी पर कार्य न कर स्वयं नया लक्ष्य बनाते हैं। उन्होंने कहा कि श्री नाईक में छोटी-छोटी बातों में भी कुछ नया करने की दृष्टि है।
डॉ0 सरिता ने सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ, पुणे के जर्मन संकाय का परिचय दिया तथा पुस्तक के अनुवादक बर्लिन विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो0 आरिफ नकवी का भी परिचय दिया व पुस्तक के कुछ अंश भी पढ़े। इस अवसर पर प्राचार्य सी0जी0 वैद्य, महापौर श्रीमती मुक्ता तिलक, श्री चन्द्रकांत पाटील तथा सांसद श्री गिरिश बापट ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे के प्राचार्य डॉ0 नितीन करमलकर ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा अंग वस्त्र व स्मृति चिन्हे देकर सम्मानित भी किया। सुधीर गाडगिल ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा राज्यपाल राम नाईक के जीवन पर प्रकाश भी डाला।