तो क्या तुलना करने आये थे माननीय प्रधानमंत्री बुंदेलखंड ?

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बुंदेलखंड और वाराणसी के निवासियों में प्रधानमंत्री ने कर दिया पक्षपात *तो क्या तुलना करने आये थे माननीय प्रधानमंत्री 
युवा पत्रकार संजय गुप्ता ( डी डी न्यूज़ , उरई जालौन)  की पैनी कलम…
बुंदेलखंड के महोबा में देश के प्रधानमंत्री के पहले दौरे और उनकी विशाल रैली से बुंदेलखंडवासियों को जो उम्मीदें जगी थी, वो उस वक्त एक पल में काफूर हो गई जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के विकास की तुलना कर डाली । जबकि इसी दिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सात बड़ी परियोजनाओं की सौगात देकर अपने क्षेत्र में विकास की झड़ी लगा दी है  (जहाँ पर संसदीय क्षेत्र होने के कारण प्रधानमंत्री वर्ष पर कोई न कोई सौगात देते रहते है) ।

बुंदेलखंड का निवासी होने के चलते मेरे मन में भी उनका सम्बोधन सुनने की चाहत रही और 24 अक्टूबर 2016 को जब देश के प्रधानमंत्री ने महोबा में परिवर्तन रैली के द्वारा चुनावी आगाज किया, उससे कहीं न कहीं उम्मीद लगाईं जा रही थी कि प्रधानमंत्री के द्वारा बदहाल और सुखेग्रस्त बुंदेलखंड के लिए कोई न कोई बड़ी सौगात जरूर दी जायेगी जो शायद आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा के लिए प्रभावी दिखाई देगी । लेकिन उनके भाषण को सुनकर बुन्देलखंडवासियों को सिवाय निराशा के कुछ हासिल नहीं हुआ । माननीय के द्वारा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के विकास की जो तुलना की गई उससे सभी लोग भली भांति परिचित थे , अपने एकपक्षीय भाषण में उन्होंने मध्य प्रदेश  भाजपा सरकार की जहाँ जमकर तारीफ की व् मध्य प्रदेश सरकार के विकास के पुलिंदे भी बांधे और वहां के किसानों के विकास की कहानी सुनाई तो वही उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के किसानों की दुर्दशा का जिम्मेवार प्रदेश की वर्तमान सपा और पूर्ववर्ती बसपा सरकार को बताया । जबकि इसी दिन माननीय प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रैली की और वहां के विकास के लिए योजनाओं की झड़ी भी लगा दी, जिनमे लगभग पांच हजार करोड़ रुपये के व्यय होने का अनुमान है ।
इस पक्षपात को देखकर लग रहा है कि देश के प्रधानमंत्री के द्वारा उत्तर प्रदेश में चुनावी जो शंखनाद किया गया है उसका दुष्परिणाम न निकल आये  और बुंदेलखंड के निवासियों के द्वारा निराशा हाथ आने के बाद भाजपा के प्रत्याशियों को भी चुनाव में निराशा हाथ न लग जाए ।

देश की जनता के बीच स्वयं को सेवक के नाम से संबोधित करने वाले देश के माननीय  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बुंदेलखंड के निवासी इस तरह की उम्मीद की कल्पना नहीं कर रहे थे , किसानों की दुर्दशा जानकर भी उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय जख्म कुरेद कर चले जाना और अपने संसदीय क्षेत्र में विकास की झड़ी लगा देना , इससे पक्षपात की नीति साफ़ दिखाई पड़ रही है ।
करीब एक घंटे के अपने भाषण में महोबा में माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा किसानों, नौजवानो , और बेटियों की चर्चा की गई लेकिन मरहम के नाम पर सिर्फ बुंदेलखंड को मध्य प्रदेश व् उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के विकास की तुलना करने को दे गए ।
किसानों का पेट तुलनात्मक अध्ययन से नहीं , कोई बड़ी परियोजना से भरना था लेकिन विकास के नाम पर कोई भी योजना न देने से किसानों का पेट खाली का खाली ही रह गया  और यहाँ के निवासी प्रधानमंत्री के दौरे के बाद सिर्फ अपना मन मसोस कर रह गए है ।

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