KGMU ट्रामा सेंटर में लगी आग, बुंदेलखंड के 21 दिन पहले जन्मे शिशु सहित 6 की मौत

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लखनऊ। राजधानी के चौक इलाके में स्थित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर (kgmu trauma center) में शनिवार शाम सा़ढे सात बजे भीषण आग लग गई। आग लगते ही अस्पताल में अफरा तफरी मच गई, मरीजों की ऑक्सीजन निकाल कर जल्द से जल्द दूसरे अस्पताल पर शिफ्ट किया गया।

इस दौरान दौरान ट्रॉमा सेंटर में चार सौ से ज्यादा मरीज भर्ती थे। आग लगने का कारण एसी में शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। दूसरे फ्लोर पर स्थित एडवांस ट्रामा लाइफ सपोर्ट [ATLS] वार्ड में अचानक लगी आग देखते ही देखते विकराल हो गई और तीसरे फ्लोर पर मेडिसिन स्टोर में भी पहुंच गई।



हादसे में हुई 6 कि मौत
इस हादसे में प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग के कारण बाहर लाए गए मरीजों में से हेमंत कुमार, अरविंद कुमार गौतम, वसीम, सरस्वती, मुकेश और 21 दिन पहले जन्मे शिशु समेत 6 की मौत हो गई। सभी की हालत गंभीर थी और एक अस्पताल से दूसरे में शिफ्ट करते वक्त जान गई। कई मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। जबकि कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया कि जलने से किसी भी व्यक्ति मौत नहीं हुई है।

चारो ओर धुंआ और भीषण आग की लपटों के बीच डाक्टर जिन मरीजों का ऑपरेशन कर रहे थे वे जान बचाने के लिए बीच में ही ऑपरेशन छो़डकर भाग गए। किसी तरह तीमारदारों ने स्ट्रेचर पर लादकर अपने मरीजों को नीचे उतारा। ट्रॉमा सेंटर के बाहर स़़डक पर स्ट्रेचर पर मरीजों की कतारें लग गईं। इसके बाद मरीजों को लारी कार्डियोलॉजी, शताब्दी अस्पताल के फेज एक व फेज दो, केजीएमयू के गांधी वार्ड में शिफ्ट किया जाने लगा। जब यहां पर मरीज फुल हो गए तो सिविल व बलरामपुर अस्पताल भी भेजा जाने लगा। करीब चार सौ से अधिक मरीज शिफ्ट किए गए। आग पर दमकल की 30 गाड़ियां काबू पाने में नाकाम साबित हो रहीं थी। कर्मचारियों ने किसी तरह खि़डकियों के शीशे तो़डकर धुंए को बाहर निकाला। देर रात तक आग बुझाने में दस दमकल, ४५ दमकलकर्मी, एक हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म कई थानों का पुलिसबल जुटा था। ट्रॉमा सेंटर में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। जो मरीज फंसे थे उन्हें बाहर निकाला।

योगी ने मंडलायुक्त को सौंपी जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच तीन दिन के भीतर मंडलायुक्त लखनऊ से करने और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

रखा था प्लास्टिक का सामान
ट्रॉमा की दूसरी मंजिल पर बनी एटीएलएस यूनिट में प्लास्टिक के बेड व मैनीक्विन रखी थीं। इस कारण आग बहुत तेजी से फैली। आग ने ग्राउंड फ्लोर, पहली मंजिल व दूसरी मंजिल को अपनी गिरफ्त में ले लिया। तीसरी मंजिल पर ट्रामा वेंटीलेटर यूनिट ([टीवीयू)] में अत्यंत गंभीर मरीज थे, जिन्हें किसी तरह बचाया गया। जिस फ्लोर पर आग लगी उसमें आर्थोपेडिक विभाग, मेडिसिन विभाग व न्यूरो सर्जरी विभाग शामिल हैं। आग चौथे व पांचवे फ्लोर पर न पहुंचे इसके लिए क़़डी मशक्कत की गई।

चल रहा था ऑपरेशन
जिस समय ट्रॉमा सेंटर के दूसरे फ्लोर पर आग लगी, उस वक्त ओटी में पांच मरीजों का ऑपरेशन चल रहा था। उसमें से एक मरीज को गोली लगी थी। आग लगने के बाद उसे लोहिया अस्तपाल भेज दिया गया। लोहिया में डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि इतने गंभीर मरीज के ऑपरेशन की सुविधा ही अस्पताल में नहीं है। इसके बाद रोते-बिलखते परिवारीजन मरीज को सहारा अस्पताल लेकर भागे, जहां उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई थी।


टांका खुला छोड़कर भागे डाक्टर
बलरामपुर से आई सुनीता की आंतों का आपरेशन हुआ था कि अचानक आग लग गई। यहां पर डाक्टर टांका खुला छो़डकर ही भाग गए। इसके बाद सुनीता का पति राम दशरथ उसे गोद में उठाकर किसी तरह जान बचाकर नीचे आया। बस्ती की प्रमिला खाना बनाने रैन बसेरा में आई थी और उसकी पंद्रह दिन की बेटी एनआइसीयू में चौथे फ्लोर पर भर्ती थी। वह अपने बेटे की देखरेख में बेटी को छो़़डकर आई थी। आग लगने के बाद जब वह बेटे का फोन मिला रही थी तो वह उठ नहीं रहा था। ऐसे में वह लोगों से गुहार लगा रही थी कि कोई मेरी बेटी को बचा लो साहब।

आग का कारण, तैयारी और तत्परता
वहीं केजीएमयू के सीएमएस एसएन शंखवार ने बताया कि आग शार्ट सर्किट से लगी है। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। फिलहाल अग्निशमन और पुलिस की टीम के साथ रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम राहत और बचाव कार्य में देर रात तक जुटे रहे। एक जानकारी के मुताबिक आग से हमीरपुर की सरस्वती देवी आग के बाद मची भगदड़की चपेट में आकर मौत के मुंह में चली गई। सूत्रों के मुताबिक इस महिला को ट्रामा सेंटर से राम मनोहर लोहिया अस्पताल शिफ्टकिया जा रहा था। पुलिस ने भी आग शार्ट सर्किट बताया है। इसकी सूचना 19:20 बजे चौक फायर कंट्रोल रूम को मिली।सूचना मिलते ही चौक अलीगंज और हजरतगंज के एक दर्जन से अधिक दमकल की गाड़ियों को मौके पर रवाना किया गया। वहीं हजरतगंज से क्रेन और हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म की मदद से दमकल कर्मियों ने आग पर पर काबू पाने के लिए रहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। करीब तीन घंटे तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका था। जिलाधिकारी कौशल राज और एसएसपी दीपक कुमार और केजीएमयू वीसी ने भी मौके पर पहुंच कर मरीजों की हालत का जायजा लिया।


पहले भी लग चुकी आग

  • एटीएलएस
  • फिजियोलाजी
  • बाल रोग विभाग
  • पैराप्लीजिया विभाग
  • पैथोलॉजी विभाग 
  • गांधी वार्ड

सांसत में रही मरीजों की जान
केजीएमयू में आग लगने का यह मामला पहला नहीं है। इसे पहले भी यहां पर कई बार आग लग चुकी है।केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग की प्रयोगशाला में इसी साल मई महीने में आग लगी थी। भीषण धुंआ निकलने से काम कर रहे डॉक्टर व कर्मचारी घबराकर जान बचाने के लिए भागे। इसकी वजह से वहां भगदड़ मची थी। उस समय भी एअर कंडीशन में शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जाहिर की गई थी। आग बुझाने के इंतजाम न होने से कर्मचारी घबरा गए थे। केजीएमयू के बाल रोग विभाग, पैराप्लीजिया विभाग, पैथोलॉजी, गांधी समेत दूसरे वार्डों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद केजीएमयू को आग से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। अफसरों की हीलाहवाली से मरीजों की जान सांसत में रही है।

यह केजीएमयू के डॉक्टरों का जज्बा ही था –
कि ट्रॉमा सेंटर में भीषण आग लगने के महज चार घंटे बाद मरीजों का दोबारा इलाज शुरू कर दिया गया। जो मरीज बाहर से आ रहे थे, उन्हें रात करीबन पौने ग्यारह बजे से इलाज मिलने लगा। हालांकि इनमें से ज्यादातर मरीजों को प्राथमिक इलाज के बाद ट्रॉमा सेंटर के पास बने शताब्दी-टू में भेजा जाने लगा। जिन मरीजों की स्थिति गंभीर नहीं थी उन्हें लोहिया अस्पताल, लोहिया संस्थान, सिविल, बलरामपुर और अन्य सरकारी अस्पतालों को भेजा गया।

नहीं काम आए अग्निशमन यंत्र
ट्रामा सेंटर में आग लगने के करीब 20 मिनट बाद फायर बिग्रेड पहुंची। आग लगते ही ट्रामा के कर्मचारी व तीमारदारों ने किसी तरह अग्निशमन यंत्र से आग बुझाने की कोशिश की लेकिन, वह किसी काम नहीं आए। ट्रॉमा की दूसरी मंजिल पर बनी एटीएलएस यूनिट में प्लास्टिक के बेड व मैनीक्विन रखी थीं। इस कारण आग बहुत तेजी से फैली। आग ने ग्राउंड फ्लोर, पहली मंजिल व दूसरी मंजिल को अपनी गिरफ्त में ले लिया। तीसरी मंजिल पर ट्रामा वेंटीलेटर यूनिट (टीवीयू) में अत्यंत गंभीर मरीज थे, जिन्हें किसी तरह बचाया गया। जिस फ्लोर पर आग लगी उसमें आर्थोपेडिक विभाग, मेडिसिन विभाग व न्यूरो सर्जरी विभाग शामिल हैं। आग चौथे व पांचवे फ्लोर पर न पहुंचे इसके लिए कड़ी मशक्कत की गई।

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