दिल्ली। मा0 सर्वोच्च न्यायालय को बी टी सी प्रशिक्षुओं की ओर से उनके अधिवक्ताओ द्वारा प्रत्यावेदन सौपा गया है जिसमें कहा गया है की जो भी समायोजित शिक्षक है पूरी तरह से अवैध है उन्हें शिक्षामित्र के पद पर तैनात करते समय इण्टर मीडिएट की मेरिट को आधार मान कर की गयी थी न कि स्नातक योग्यता के आधार पर। अतः इनका समायोजन किसी भी परिस्थिति में अध्यापक की योग्यता से परे है।सहायक अध्यापक पद पर नियमावली के तहत स्नातक एवम् टेट योग्यता धारी ही अर्ह है। शिक्षामित्र पद पर चयन के समय जो बरिष्ठता सूची बनी थी उसमे न तो स्नातक योग्यता का जिक्र था और न ही भविष्य में किसी प्रकार से नौकरी का दावा प्रस्तुत करेंगे इस आशय का शपथ पत्र पहले ही शिक्षामित्रो द्वारा नियुक्ति के पूर्व ही लिया जा चूका है।इस आधार पर उत्तर प्रदेश द्वारा समायोजन ही पूरी तरह से अवैध है।यू पी सरकार इन्हें वोट बैंक के रूप में देख रही है,लाखों की संख्या में प्रशिक्षित दर दर की ठोकरे खा रहे और सरकार अपने वोट बैंक के चक्कर में खेल खेल रही है जिसपर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण पर जबाब मांगा है।