संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से इतर एक बेबाक उद्बोधन में मोदी ने जीवनशैली में बदलाव की भी वकालत की, ताकि धरती पर बोझ कम हो। उन्होंने कहा कि कुछ की जीवनशैली से विकासशील देशों के लिए अवसर समाप्त नहीं होने चाहिए।
मोदी ने ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन से लड़ने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दर्शाने वाले एक विशेष भारतीय पवेलियन का यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन स्थल पर उद्घाटन करते हुए कहा, जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वैश्विक चुनौती है। लेकिन यह हमारी बनाई हुई नहीं है।
उन्होंने सम्मेलन से निकलने वाले परिणाम को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, हम चाहते हैं कि दुनिया अत्यावश्यक आधार पर काम करे। हम पेरिस में एक व्यापक, न्यायसंगत और दीर्घकालिक समझौता चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में और फाइनेंशियल एक्सप्रेस अखबार के आज के संस्करण में विचार वाले हिस्से में लिखे एक लेख, दोनों ही जगह जीवनशैली में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने पवेलियन में उपस्थित श्रोताओं से कहा, और, मैं जीवनशैली में बदलाव का भी आह्वान करंगा ताकि हम अपनी धरती पर बोझ कम कर सकें। हमारे प्रयासों की स्थाई सफलता हमारे रहने और सोचने के तरीके पर निर्भर करेगी।
मोदी ने अपने लेख में लिखा, कुछ की जीवनशैली से उन कई देशों के लिए अवसर समाप्त नहीं होने चाहिए जो अब भी विकास की सीढ़ी पर पहले पायदान पर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित देशों को चेतावनी भी दी कि अगर वे उत्सर्जन कम करने का बोझ भारत जैसे विकासशील देशों पर डालते हैं तो यह नैतिक रूप से गलत होगा और विकासशील देशों को भी अपनी अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति के लिए कार्बन दहन का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति हमारी नियति और हमारी जनता का अधिकार है। लेकिन हमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी अगुवाई करनी चाहिए।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ भारतीय प्रधानमंत्री ने पवेलियन के विभिन्न स्टॉलों का मुआयना किया और बाद में पर्यावरण संरक्षण पर एक पुस्तक का विमोचन किया।
जावड़ेकर ने कहा, हमारा पवेलियन जलवायु परिवर्तन से लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। पवेलियन में भारत द्वारा अपनाये गये अनुकूलन उपायों पर फिल्में भी दिखाई जाएंगी।
अधिकारियों ने कहा कि यहां स्क्रीन पर लगातार करीब 40 फिल्में चलती रहेंगी जिनमें अनुकूलन पर करीब 21 जीबी सूचना होगी।
यहां आने वाले दर्शकों को इस संबंध में जानकारी देने के लिए टच स्क्रीन भी लगाये गये हैं कि भारत ने चार क्षेत्रों में अनुकूलन उपाय किस तरह अपनाये हैं जिनमें मन्नार की खाड़ी में प्रवालभित्ति का संरक्षण, लद्दाख में ग्लेशियर का संरक्षण, अहमदाबाद में ग्रीष्म कार्रवाई योजना शामिल हैं।
मोदी ने भारतीय पवेलियन में अपने भाषण में कहा कि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी की वजह से जलवायु परिवर्तन होता है जो जीवाश्म ईंधन से संचालित एक औद्योगिक काल की समद्धि और प्रगति से हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा नहीं की है, उसके बाद भी वह इसके दुष्परिणामों का सामना करता है जिनमें किसानों को खतरे, मौसम प्रवत्तियों में बदलाव और प्राकतिक आपदाओं की तीव्रता शामिल है।
मोदी ने कहा कि विकसित देशों की प्रतिबद्धता की सीमा और उनकी कार्रवाई की शक्ति कार्बन स्पेस के संगत होनी चाहिए।
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती, अत्यावश्यक मानते हुए हो कार्रवाई : PM मोदी
पेरिस: जलवायु परिवर्तन को एक बड़ी वैश्विक चुनौती बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए व्यापक, न्यायसंगत और दीर्घकालिक समझौते पर सहमति के लिए दुनिया को इसे अत्यावश्यक मानते हुए काम करना होगा।