प्रयास और इच्छाशक्ति से नये रास्ते खुलते हैं : नाईक

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लखनऊ(छविनाथ संवाददाता)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ अब दृष्टिबाधित दिव्यांगजन के लिए भी उपलब्ध है। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के ब्रेल लिपि संस्करणों हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी भाषा का लोकार्पण गुरूवार को मुंबई में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा किया गया। पुस्तक के ब्रेल लिपि संस्करणों का प्रकाशन नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड, इण्डिया (नैब) द्वारा किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक सहित उनकी पत्नी कुंदा नाईक, पुत्रियाँ निशिगंधा एवं श्रीमती विशाखा कुलकर्णी, महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री एड0 आशिष शेलार, नैब इण्डिया के अध्यक्ष श्री हेमंत टकले, महासचिव सत्य कुमार सिंह, सचिव डॉ0 विमल कुमार डेंगला एवं बड़ी संख्या में विशिष्टजन और दृष्टिबाधित भाई-बहन उपस्थित थे। श्री नाईक ने बताया कि कार्यक्रम के अध्यक्ष केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्री थावरचंद गेहलोत संसद सत्र चलने और राज्यसभा ने नेता होने तथा राज्यसभा में आवश्यक कार्य के कारण उपस्थित नहीं हो सके हैं।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि वे पुस्तक के लेखक के रूप में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से पहले बोल रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि वे एक्सीडेंटल लेखक हैं। उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज ही हेलन केलर का जन्म दिवस है। मूक बधिर और दृष्टिहीन हेलन केलर पहली महिला थी जिन्होंने स्नातक डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षिका एनी सुलीवान ने उनको शिक्षित किया था। जीवन में बाधाएं आती हैं तो तलाशने पर उनके समाधान भी प्राप्त होते हैं। दिव्यांगजन निराश न हों। प्रयास और इच्छाशक्ति से नये रास्ते खुलते हैं। राज्यपाल ने अपने जीवन के संघर्षो का उल्लेख करते हुये बताया कि उन्होंने के0सी0 कालेज से विधि की पढ़ाई की है। मुंबई में रहने और खाने के लिये उन्हें मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। आने-जाने के लिये साईकिल का प्रयोग भी उन्होंने किया। सामाजिक क्षेत्र में कार्य करते हुये वे तीन बार विधायक और 5 बार सांसद बने। लोगों के प्रेम और मुंबई ने उन्हें बहुत कुछ दिया। राज्यपाल ने कहा कि उनके जीवन से जुड़े इन्हीं संस्मरणों का संकलन है पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’।
नाईक ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुये बताया कि उनके मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा ही 25 अपै्रल, 2016 को मुंबई में किया गया था। पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवम्बर 2016 को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में, 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा गुजराती भाषा संस्करण का 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ। 26 मार्च 2018 को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण का लोकार्पण किया गया। पुस्तक के सिंधी संस्करण का लोकार्पण 21 फरवरी 2019 को लखनऊ एवं 22 फरवरी 2019 को अरबी एवं फारसी भाषा में नई दिल्ली में हुआ। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ मराठी, हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, अरबी एवं फारसी सहित 9 भाषाओं में तथा अब ब्रेल लिपि के तीन संस्करणों हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी में प्रकाशित हो चुकी है। पुस्तक के जर्मन संस्करण का लोकार्पण 30 जून 2019 को पुणे विश्वविद्यालय, पुणे तथा असमिया भाषा संस्करण का 6 जुलाई 2019 को गुवाहाटी में होना है। राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के लोकार्पण समारोह में 2 राष्ट्रपति, 3 मुख्यमंत्री एवं 7 राज्यपालों के साथ मंच साझा करने का अवसर मिला है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि व्यक्ति जीवन में संघर्ष कर कैसे नायक के रूप में उभरता है उसका उदाहरण है राम भाऊ का जीवन। साधारण व्यक्ति असाधारण काम कैसे करता है वे उसका उदाहरण है। वे कभी रूके नहीं। सदैव प्रयास व चेष्टा करते रहे। उन्होंने यशस्वी कार्य किया है। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिये महत्वपूर्ण है। ब्रेल लिपि में पुस्तक दृष्टिहीन भाई-बहनों के लिये प्रेरणा स्रोत का कार्य करेगी और वे लाभान्वित होंगे। नाईक ने जनप्रतिनिधि, मंत्री और राज्यपाल रहते हुए कुष्ठ पीड़ितों के लिये बहुत कार्य किये हैं। प्रधानमंत्री का सपना है कि दिव्यांगों को विकास की मुख्यधारा में जोड़कर योजनाओं का लाभ दिलाया जाये। ब्रेल लिपि में पुस्तक प्रकाशन के लिये नैब इण्डिया का आभार व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि संस्था ने केवल देश की भाषा नहीं बल्कि विश्व की भाषा में प्रकाशन कराया, यह अपने आप में रिकार्ड है।
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री आशिष शेलार ने कहा कि शिक्षा मंत्री के रूप में पुस्तक विमोचन का यह उनका पहला कार्यक्रम है। पुस्तक से जीवन में निरंतर कर्म करते हुये आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। नाईक का जीवन ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्ग के लिये पुस्तक लाभदायी है।
नैब इण्डिया के महासचिव सत्य कुमार सिंह ने राज्यपाल राम नाईक का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि उन्होंने अपनी पुस्तक का ब्रेल लिपि में प्रकाशन का निर्णय लिया। पुस्तक प्रकाशन में उनकी पुत्री विशाखा का बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ। नैब इण्डिया के कार्यकलाप के बारे में बताते हुये सत्य कुमार सिंह ने कहा कि संस्था ग्रामीण क्षेत्र में दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने, सरकारी नौकरी के लिये सहयोग करने सहित ब्रेल लिपि प्रकाशन का भी कार्य करती है। उन्होंने कहा कि दृष्टिबाधित भी देश के विकास में अपना सहयोग दे सकते हैं।
नैब के दृष्टिबाधित कर्मचारी विजय पलस्कर ने पुस्तक में मोहन भागवत द्वारा लिखी गयी प्रस्तावना को पढ़कर सुनाया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन नैब इण्डिया के अध्यक्ष हेमंत टकले तथा धन्यवाद ज्ञापन सचिव डॉ0 विमल कुमार डेंगला द्वारा दिया गया। इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का सम्मान भी किया गया।

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