मायावती की मुश्किलें बढ़ी…

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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कथित रूप से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली पार्टी के एक पूर्व सदस्य की याचिका पर सुनवाई पर सहमति जतायी.

हालांकि सीबीआई की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत को जांच एजेंसी के इस रुख के बारे में बताया कि मायावती को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) और दिल्ली उच्च न्यायालय ने राहत दी है. आईटीएटी ने बसपा नेता को कथित रुप से मिले दान की जांच की थी. न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने कहा कि वह इस मामले में तत्काल कोई आदेश पारित नहीं करेगी लेकिन पूर्व बसपा सदस्य कमलेश वर्मा द्वारा दायर याचिका पर बाद में विस्तृत रूप से सुनवाई करेगी.

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि बसपा प्रमुख के खिलाफ संपत्ति मामले का लंबित ताज कारिडोर मामले से कोई लेना देना नहीं है. रोहतगी ने कहा, ‘‘मायावती को दान के मुद्दे को आईटीएटी द्वारा सुना गया था और हर मामले में उन्हें क्लीन चिट मिली है. हमारे पास कोई अन्य सामग्री नहीं है. इसलिए हम एक अन्य प्राथमिकी दर्ज करने की दिशा में क्यों आगे बढें.’ मायावती की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है क्योंकि याचिकाकर्ता चुनावी टिकट नहीं दिये जाने पर राजनीतिक बदला ले रहा है.

वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘उसे (वर्मा) बसपा से टिकट नहीं मिला था. वह कांग्रेस टिकट पर हार गया था. इसके बाद से वह मायावती से राजनीतिक बदला ले रहा है.’ इस पर, अदालत ने कहा कि हमें इससे क्या मतलब है? हमें तथ्यों पर गौर करना है.शीर्ष अदालत ने 26 अगस्त 2014 को बसपा प्रमुख को वर्मा की याचिका पर अपना जवाब देने के लिए समय दिया था. वर्मा ने याचिका में सीबीआई को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी.

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