पणजीः रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि मूल्य आधारित शिक्षा की कमी के कारण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.) में देश विरोधी नारे लगाए गए। पर्रिकर ने यहां वसंतराव डेम्पो उच्च माध्यमिक विज्ञान, वाणिज्य तथा कला स्कूल के संस्थापक के शताब्दी समारोह में कल रात लोगों को संबोधित करते हुए कहा,‘‘जे.एन.यू. में जो कुछ हुआ, वह विवाद का विषय है लेकिन देश विरोधी नारे लगाना सही नहीं है।
लोग फांसी की सजा के खिलाफ हैं और यह वाद विवाद का विषय है लेकिन कोई‘भारत की बर्बादी’की बात कैसे कर सकता है? जे.एन.यू. मुद्दा नहीं है। मुद्दा भारत के खिलाफ नारेबाजी का है। आप पर्रिकर या मोदी या फांसी के खिलाफ हो सकते हैं लेकिन आप देश के खिलाफ नारेबाजी कैसे कर सकते हैं। आप फांसी के खिलाफ हो सकते हैं लेकिन संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु का उदाहरण नहीं दिया जा सकता है।
देश के शीर्ष न्यायालय ने जिसे दोषी ठहराया है, उसके नाम पर नारेबाजी करना सही नहीं है। दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं, जहां फांसी पर प्रतिबंध लगी है। शुरुआती दिनों से ही बच्चों को सही शिक्षा देनी चाहिए।‘‘ उन्होंने कहा कि कम से कम प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए ताकि बच्चों को नैतिक मूल्यों को समझने में मदद मिल सके।
पर्रिकर ने मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि स्मरण का मतलब शिक्षा नहीं है। ज्ञान का प्रयोग महत्वपूर्ण है। हम लोग बड़े स्तर पर डिग्रियां तथा सर्टिफिकेट देते हैं लेकिन यह भी देखने की जरूरत है कि छात्रों की क्या जरूरत है, वह विश्व को किस तरह समझता है तथा वह कैसे अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है।‘’ उन्होंने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास पर अवश्य ध्यान केंद्रित होना चाहिए।