इसरो ने एक साथ रिकॉर्ड 20 उपग्रहों का किया प्रक्षेपण

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 श्रीहरिकोटा। अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में कीर्तिमान स्थापित करते हुए भारत ने आज एक ही मिशन में 17 विदेशी और एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समेत 20 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह महत्वपूर्ण कदम अरबों डॉलर के अंतरिक्ष प्रक्षेपण बाजार में भारत की प्रमुखता बढ़ाएगा।
 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन :इसरो: के धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान :पीएसलएवी-सी34: ने चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर दूसरे लांचपैड से सुबह 9:26 बजे उड़ान भरी और इसने 26 मिनट बाद नई पीढ़ी के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह :कार्टोसैट-2 सीरीज: और 19 अन्य उपग्रहों को ‘सन सिंक्रोनस ऑर्बिट :एसएसओ: या सूर्य स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया।  प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों में से 13 अमेरिका के हैं जिनमें 12 प्लेनेट लैब्स संस्थान के अर्थ इमेजिंग डव उपग्रह हैं। इनमें से प्रत्एक का वजन केवल 4.7 किलोग्राम है और 110 किलोग्राम वजनी अर्थ इमेजिंग उपग्रह स्काईसेट जेन-2 भी है जिसे गूगल के स्वामित्व वाली कंपनी ने बनाया है। इनमें से दो उपग्रह कनाडा के और एक-एक जर्मनी तथा इंडोनेशिया के हैं। इसरो के अध्यक्ष किरण कुमार ने उत्साह के साथ कहा कि एक पेलोड में 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण करना ‘पक्षियों को आसमान में उड़ान भरने देने जैसा था। उन्होंने कहा, ”पीएसएलवी सी-34 ने अपना काम कर दिया।इससे पहले इसरो ने 2008 में एक ही मिशन में 10 उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया था। सर्वाधिक उपग्रह एक साथ भेजने का रिकार्ड रूस के नाम है जिसने 2014 में 37 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 29 उपग्रह एकसाथ अंतरिक्ष में भेज चुकी है।
 पेलोड में 700 किलोग्राम से अधिक वजनी से लेकर डेढ़ किलो वजनी तक उपकरण शामिल हैं।
 कुमार ने कहा, ”हमारे पास कार्टोसैट 2 सीरीज की मौजूदा पीढ़ी का भू सर्वेक्षण उपग्रह है। इसरो ने शानदार काम किया है।
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की सराहना करते हुए कहा, ”एक साथ 20 उपग्रह…इसरो लगातार नए आयाम गढ़ रहा है। इस यादगार कामयाबी पर हमारे वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई।
 उन्होंने कहा, ”हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम ने बार बार लोगों के जीवन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की परिवर्तनशील क्षमता को दिखाया है।
 मोदी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ”इतने सालों में हमने दूसरे देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उनकी मदद करने की विशेषज्ञता और क्षमता विकसित कर ली है। यह हमारे वैज्ञानिकों का कौशल है।
 कार्टोसैट-2 सीरीज उपग्रह 727.5 किलोग्राम का है और यह नियमित तौर पर रिमोट सेंसिंग सेवा प्रदान करेगा तथा इसके द्वारा ली गई तस्वीरों का बहुद्देशीय उपयोग होगा। इस उपग्रह में पैनक्रोमैटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरे लगे हुए हैं।
 दो शैक्षणिक उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया है। चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय का उपग्रह :सत्यभामासैट: तथा दूसरा पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का उपग्रह :स्वयं: है।
 कार्टोसैट-2 का इस्तेमाल मानचित्रण :कार्टोग्राफी:, शहरी एवं ग्रामीण ऐप्लीकेशन, तटीय भूमि उपयोग एवं नियमन, सड़क नेटवर्क की निगरानी और जल वितरण जैसे सुविधा प्रबंधन के लिए हो सकेगा।
 कार्टोसैट-2 उपग्रह का उपयोग भूमि उपयोग मानचित्र तैयार करने, सटीक अध्ययन तथा कई भू सूचना प्रणाली तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली अनुप्रयोगों के लिए भी हो सकेगा। यह पहले के कार्टोसैट-2, 2ए और 2बी की तरह है।

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