![]() |
फाइल फोटो गायत्री प्रजापति |
गैंगरेप मामले में पिछले महीने ही जेल भेजे गए पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को लखनऊ की जिला अदालत से जमानत मिल गई है. उनके दो साथी पिंटू और विकास को भी एक-एक लाख रुपए पर बेल मिली है। गायत्री को बीते 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था जहां उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था।
गिरफ्तारी के दौरान गायत्री ने कहा था, मैं निर्दोष हूं। नार्को टेस्ट होगा तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। यूपी सरकार में गायत्री के पास कई बड़े मंत्रालय रह च़ुके हैं। उसे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गायत्री प्रजापति समेत 5 लोगों के खिलाफ बीते 18 फरवरी 2017 को लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
गायत्री समेत अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 511, 376 डी पॉक्सो एक्ट 3/4 में मामला दर्ज हुआ था। प्रजापति समाजवादी पार्टी के टिकट पर अमेठी से विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था,लेकिन हार गए।
![]() |
फाइल फोटो गायत्री प्रजापति |
बता दें कि एक महिला ने गायत्री प्रजापति और उसके साथियों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। पीड़ित महिला के मुताबिक तीन साल उसकी गायत्री प्रजापति से मुलाकात हुई थी।
तभी मंत्री ने चाय में नशे की दवा मिलाकर उसे बेहोश कर दिया था। महिला ने आरोप लगाया कि नशे की हालत में उसके साथ रेप किया गया और उसकी वीडियो क्लिप भी बनाई गई। महिला ने गायत्री और उसके साथियों पर अपनी नाबालिग बेटी के भी शोषण का आरोप लगाया था।
विस्तृत में…
गायत्री के साथ ही दो अन्य आरोपी विकास वर्मा और पिंटू सिंह को भी जमानत दे दी गई है. लखनऊ जिला न्यायालय के स्पेशल जज ओपी मिश्रा ने ये फैसला सुनाया है. गायत्री के खिलाफ लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है.
उधर एक दिन पहले ही सोमवार को इसी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में पूर्व मंत्री समेत बाकी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच चल रही है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को मामले की सुनवाई बंद कर देनी चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश से कहा है कि स्टेटस रिपोर्ट की कॉपी पीड़िता को भी दी जाए.
![]() |
फाइल फोटो गायत्री प्रजापति |
पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में उसको सुरक्षा दी जाए क्योंकि उसकी जान को खतरा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता से कहा कि वह अथॉरिटी को ज्ञापन दे और अथॉरिटी इस पर विचार करे.
दरअसल 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा था कि आरोपी प्रभावशाली है तो इसका मतलब यह नहीं कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज न करे. इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच की जाए और फाइनल रिपोर्ट दाखिल की जाए.
यूपी सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस मामले की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है. कोर्ट ने यूपी सरकार से दो महीने में जांच रिपोर्ट मांगी है. शिकायतकर्ता चित्रकूट की रहने वाली है.
महिला का आरोप है कि आरोपी मंत्री ने सपा में उच्च पद दिलाने के नाम पर उससे पिछले दो सालों में कई बार रेप किया और उसकी नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ भी की. महिला का आरोप है कि पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट याचिका को खारिज कर चुका था.
पिछली 6 मार्च को गैंगरेप के आरोपी यूपी के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गायत्री प्रसाद प्रजापति ने गिरफ्तारी पर रोक और एफआईआर दर्ज करने के आदेश को वापस लेने की मांग की थी. इसके बाद 14 मार्च को गायत्री प्रजापति को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया था.