लखनऊ। कल योगी जी ने महापुरुषों के नाम पर स्कूलों और दफ्तरों में दी जा रही छुट्टियों को निरस्त कर वाकई बहुत सराहनीय कार्य किया है लेकिन छुट्टियां निरस्त करने के पीछे योगी जी को प्रेरणा जरूर इस तस्वीर से ही मिली होगी। इस तस्वीर में आप देखिये कि आज जयंती डा अम्बेडकर की है और विद्यालय के शिक्षक और शिक्षकाओं ने तस्वीर सुभाष चंद बोस की लगा कर जयंती मना डाली……स्कूलों और सरकारी दफ्तरों के निरीक्षण के दौरान हमने देखा है कि जिस महापुरुष के नाम पर छुट्टी होती है 90 प्रतिशत छात्र छात्राओं को पता ही नहीं होता है कि आज छुट्टी किस की है और सबसे हास्यास्पद स्थिति तो सरकारी दफ्तरों की हो जाती है जहा पढ़े लिखे लोग काम करते हैं उन्हें भी पता नहीं होता है कि चेती चंद कौन है और वाले मियाँ कौन है।
जयंती अंबेडकर की और मालाएं सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर
कल जहाँ देशभर में डा भीमराव अंबेडकर की 126 वीं जयंती के अवसर पर कई शहरो में कार्यक्रमो का आयोजन हुआ वहीँ उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक स्कूल में अजीबोगरीब मामला देखने को मिला। यहाँ के शिक्षकों को मालूम ही नहीं कि डा भीमराव आंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस में क्या फर्क है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस स्कूल की तस्वीर में डा भीमराव अंबेडकर की जगह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर दिखाई दे रही है।
इतना ही नहीं इस तस्वीर पर मालाएं भी पड़ी दिख रही हैं। ज़ाहिर है अंबेडकर जयंती पर श्रद्धांजलि डा भीमराव अंबेडकर को दी गयी लेकिन मालाएं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर किया गया।
सम्भावना है कि इस स्कूल के शिक्षकों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का चेहरा डा भीमराव अंबेडकर से मिलता जुलता दिखा होगा। अज्ञानतावश वे अंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर में फर्क नहीं पहचान पाए होंगे।
इस स्कूल में हुई इस घटना से एक बात और साफ़ उजागर हो गयी है कि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में अभी भी शिक्षकों को ज्ञान लेने की ज़रूरत है। जिस स्कूल के शिक्षक डा अंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर में फर्क नहीं पता कर सके, वे शिक्षक बच्चो को किस स्तर की शिक्षा दे रहे होंगे।