नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दूसरे कार्यकाल के लिए आज निर्विरोध चुन लिए गए। अध्यक्ष पद पर शाह के कार्यकाल के दौरान पार्टी की सदस्यता में तेजी से वृद्धि दर्ज हुई थी और चार राज्यों में पार्टी सत्ता में आई। शाह के फिर पार्टी अध्यक्ष चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी इस कार्यक्रम में पार्टी मुख्यालय में मौजूद नहीं थे, जो पूर्व में शाह के कामकाज को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत एक तरह से पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए शाह के नाम का प्रस्ताव किया जिसमें कई केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। नामांकन में किसी अन्य नेता का नाम आगे नहीं किया गया।
शाह का चुनाव तीन वर्ष के पूर्ण कार्यकाल के लिए हुआ है जो पार्टी की परंपरा के अनुरूप है और यह आम सहमति के आधार पर हुआ है। यह पूरी तरह से तब स्पष्ट हो गया जब मोदी और पार्टी के बड़े नेताओं के साथ आरएसएस उनके पीछे पूरी ताकत से खड़ी हो गई।
आधिकारिक कार्यक्रम के कारण प्रधानमंत्री मोदी इस समारोह में मौजूद नहीं थे लेकिन वह संसदीय बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेेंगे जो 28 जनवरी को हो सकती है।
शाह के लिए यह तीन वर्षो का पूर्ण कार्यकाल होगा। शाह मई 2014 में उस समय भाजपा अध्यक्ष बने थे जब तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह सरकार में शामिल हो गए थे। 51 वर्षीय शाह के पक्ष में 17 नामांकन पेश किए गए और यह प्रक्रिया तीन घंटे तक चली।
प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष के तौर पर पुन: चुने जाने पर अमित शाह को बधाई दी और विश्वास जताया कि पार्टी उनके नेतृत्व में नई उूंचाइयों को छूएगी। शाह को तीन साल के कार्यकाल के लिए निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ”श्री अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई। मुझे विश्वास है कि पार्टी उनके नेतृत्व में नई उूंचाइयों को छुएगी।ÓÓ
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ”अमित भाई में जमीनी स्तर पर कामकाज और समृद्ध सांगठनिक अनुभव दोनों का समावेश हैं जिससे पार्टी को अत्यधिक लाभ मिलेगा।ÓÓ
मोदी के करीबी 51 वर्षीय शाह ने मई 2014 में पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कामकाज संभाला था जब राजनाथ सिंह अध्यक्ष पद छोड़कर सरकार में शामिल हो गए थे।
शाह को मोदी का काफी करीबी माना जाता है। पार्टी के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इनके कार्यकाल के दौरान भाजपा की सदस्यता 11 करोड़ को पार कर गई। महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी प्रमुख ताकत बनकर उभरी और दोनों राज्यों में पार्टी सत्ता में आई। उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने झारखंड और जम्मू कश्मीर में जीत दर्ज की। हालांकि दिल्ली और बिहार में पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।