विधानसभा में राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक पारित
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने आज भाजपा सदस्यों के बहिर्गमन और बसपा सदस्यों के विरोध के बीच वर्ष 2006 से लागू राजस्व संहिता के 31 प्रावधानों को समाप्त करने और दलितों को अपनी भूमि गैरदलितों को बेचने के लिए लागू शर्तो को समाप्त करने के लिए संशोधन विधेयक पारित कर दिया। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता :संशोधन: विधेयक 2016 शीर्षक से यह विधेयक हाल ही में इन्हीं उद्देश्यों को लेकर जारी अध्यादेश के स्थान पर पारित किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि राजस्व संहिता में संशोधन से पूर्व की व्यवस्था के तहत अनुसूचित जाति के भूमिधरों को उनके पास।,26 हेक्टेयर अथवा इससे कम जमीन होने की स्थिति में उसे गैर दलित को बेचने से रोकने के लिए कुछ प्रतिबंध थे, ताकि उूंची जाति के लोग जबरन उनकी जमीन न खरीद लें। उन्होंने कहा कि राजस्व संहिता में इस प्रतिबंध को समाप्त करना एक दलित विरोधी कदम है और इसे भू माफिया उनकी जमीनों को औंने पौंने दाम खरीद कर हथिया लेंगे। यह कहते हुए कि गांव में अधिकांश झगडे भूमि विवाद को लेकर ही होते हैं, उन्होंने इन विवादों को निपटाने के लिए स्वतंत्र राजस्व न्यायालयों की भी स्थापना को जरूरी बताया है। उनका तर्क था कि मौजूदा व्यवस्था में जिलों में विभिन्न स्तरों पर प्रशासनिक अधिकारियों को विवादों की सुनवाई और निपटारा करना होता है। मगर प्रशासनिक जिम्मेदारियों के कारण वे इस काम के लिए समुचित समय नहीं दे पाते।