नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने 2012 में सेना की गतिविधियों से बने विवाद को फिर से उठाते हुए जनरल वी के सिंह द्वारा कथित रूप से सत्ता पलटने के प्रयास करने की एक खबर को ‘दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन सच बताया। इस दावे का तिवारी की खुद की पार्टी ने जोरदार खंडन किया वहीं पूर्व सेना प्रमुख वी के सिंह ने भी इसे खारिज कर दिया।
सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के बयान देने के समय पर सवाल खड़ा किया लेकिन तिवारी अपने कहे पर कायम हैं। तिवारी ने कल यहां पुस्तक विमोचन समारोह में एक प्रश्न के उत्तर में एक तरह से करीब चार साल पुराने विवाद को फिर से उठाते हुए कहा था, ”उस समय मैं रक्षा संबंधी स्थाई समिति का सदस्य था और यह दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन खबर सत्य थी। खबर सही थी। अक्तूबर 2012 से मई 2014 तक संप्रग सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रहे तिवारी ने कहा, ”मैं बहस में नहीं पड़ रहा। मैं वही कह रहा हूं जो मुझे सही से पता है कि खबर सही थी। कांग्रेस नेता से इंडियन एक्सप्रेस अखबार में इस कथित घटना से संबंधित चार अप्रैल, 2012 को छपी खबर के बारे में पूछा गया था। खबर का शीर्षक था, ”द जनवरी नाइट रायसीना हिल वाज स्पूक्ड : टू की आर्मी यूनिट्स मूव्ड टूवर्ड्स देहली विदआउट नोटिफाइंग गवर्मेंट। वर्तमान में विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने तिवारी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बयान ऐसे व्यक्ति ने दिया है जिनके पास इन दिनों कोई काम नहीं है। सिंह ने कहा, ”उनके पास इन दिनों कोई काम नहीं है। उन्हें मेरी किताब पढऩे के लिए कहा जाना चाहिए जो सबकुछ बताती है। पहली बार जब विवाद उठा था तब भी असहज हुई कांग्रेस ने खबर को खारिज कर दिया था और उसने अब भी तिवारी के दावे का खंडन किया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ”मैं फिर स्पष्ट कर रहा हूं कि इसमें :2012 में सेना की गतिविधि के बारे में दावों में: बिल्कुल भी सचाई नहीं है। मेरे साथी ना तो सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के सदस्य थे, और ना ही अन्य किसी निर्णय लेने वाली संबंधित इकाई में। उन्होंने कहा कि सेना की कुछ गतिविधियां रक्षा प्रणाली का आवश्यक, अंतनिर्हित और अपरिहार्य हिस्सा होती हैं।