नई दिल्ली। अपने अलग हटके आदेशों और निर्देशों के कारण अक्सर विवादों में रहने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने बुधवार को एक और विवादास्पद आदेश जारी कर दिया है. इसके तहत अब यदि किसी विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव छुट्टी पर जाते हैं तो विभाग के किसी जूनियर अधिकारी को भी विभागीय जिम्मा सौंपा जा सकता है, जबकि अब तक ऐसी स्थिति होने पर विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव स्तर के दूसरे अधिकारी को ही यह जिम्मा सौंपा जाता था.
जाहिर तौर पर अरविंद केजरीवाल की सरकार के इस नए आदेश से अफसरशाही में नई पेचीदगी शुरू होने वाली है. क्योंकि ताजा आदेश यह कहता है कि किसी विभाग का मुखिया बनने के लिए उस अधिकारी का प्रमुख सचिव या सचिव होना जरूरी नहीं है. ऐसे में अगर प्रमुख सचिव छुट्टी पर जाते हैं तो उन्हीं के विभाग का कोई जूनियर अधिकारी को विभाग का जिम्मा सौंपा जाएगा. यानी जहां अब तक विभागों के प्रमुख सीनियर आईएएस अधिकारी ही होते थे, वहीं इस नए आदेश के बाद जूनियर आईएएस अधिकारी, यहां तक कि दानिक्स अधिकारी भी विभाग के प्रमुख बना दिए जाएंगे.
आदेश का दूसरा पहलू भी
दूसरी ओर, इस आदेश का दूसरा पहलू यह है कि दिल्ली सरकार में सीनियर स्तर पर अब अधिकारियों की संख्या कम रह गई हैं. कई सारे अधिकारियों ने या तो केंद्र सरकार का रुख कर लिया है या फिर सरकार से किसी न किसी मामले पर मतभेद होने के कारण छुट्टी पर चले गए हैं. ऐसे अधिकारियों में शकुंतला गैमलिन और चेतन सांघी का नाम अहम है. इसके साथ ही गिने चुने अधिकारी ऐसे हैं जो प्रमुख सचिव के औहदे पर केजरीवाल सरकार के अंदर काम कर रहे हैं.
वरीयता में बदलाव के संकेत
इस आदेश के बाद जहां अब तक चले आ रहे सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया गया है, वहीं नौकरशाही की वरीयता में भी बड़े बदलाव के संकेत हैं. अहम बात यह है कि इस आदेश में यह साफ तौर पर लिखा गया है कि इसे जारी करने से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुमति ले ली गई है, यानी फैसला सबसे ऊपरी स्तर पर हुआ है।