मुंबई । पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों और सिद्धिविनायक मंदिर को निशाना बनाने की साजिश सहित आज कई खुलासे किए और यह भी कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन को ‘वित्तीय, सैन्य एवं नैतिक सहयोग प्रदान करती है।
वीडियो-लिंक के जरिए अमेरिका से लगातार दूसरे दिन मुंबई स्थित अदालत के समक्ष गवाही देते हुए हेडली ने कहा कि वह लश्कर के अलावा पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के लिए काम कर रहा था तथा वह यह भी जानता था कि आईएसआई अधिकारी ब्रिगेडियर रियाज लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी का आका है। लखवी मुंबई हमले का मुख्य षणयंत्रकारी है। उसने विशेष न्यायाधीश जी ए सनप को बताया, ”मैं आईएसआई के लिए भी काम कर रहा था और पाकिस्तानी सेना के कई लोगों से मिला था। इस आतंकी ने पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के तीन अधिकारियों- कर्नल शाह, लेफ्टिनेंट कर्नल हमजा और मेजर समीर अली- के साथ ही सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी अब्दुल रहमान पाशा का नाम लिया। पाशा लश्कर और अलकायदा के साथ बहुत नजदीक से काम कर रहा था। उसने यह भी कहा कि उसका यह आकलन था कि आईएसआई और लश्कर एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं। हेडली ने कहा, ”आईएसआई ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों को वित्तीय, सैन्य एवं नैतिक सहयोग प्रदान किया था। उसने यह भी खुलासा किया 26 नवंबर, 2008 को किए गए हमले से एक साल पहले ही मुंबई को निशाना बनाने साजिश शुरू कर दी गई थी तथा शुरू में लश्कर ताज होटल में भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों के सम्मेलन पर हमला करने की योजना बनाई थी और इसके लिए होटल का डमी तक तैयार कर लिया गया था। हेडली ने कहा कि रक्षा वैज्ञानिकों के सम्मेलन पर हमले की योजना टाल दी गई क्योंकि हथियारों की तस्करी करने में दिक्कत थी और इस सम्मेलन के पूरे कार्यक्रम में बारे में जानकारी नहीं मिल पाई थी। हेडली ने कहा कि उसने मुंबई के मशहूर सिद्धीविनायक मंदिर और नौसेना स्टेशन की भी रेकी की थी।