नई दिल्ली। पड़ोसी देशों के साथ मित्रवत संबंधों की इच्छा जाहिर करते हुए भारत सरकार ने कहा कि वह पाकिस्तान और चीन को शत्रु राष्ट्र नहीं मानती और उनके साथ दोस्ताना संबंध चाहती है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा उठाए गए इस सवाल पर सहमति जताई कि भारत कब तक पाकिस्तान और चीन को शत्रु मानता रहेगा। ”शत्रु संपत्ति : संशोधन एवं विधिमान्यकरण : विधेयक 2010 विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ” हम पाकिस्तान और चीन को शत्रु नहीं मानते। सरकार पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहती है। बाद में सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि राजग सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के उन वाक्यों को हमेशा ध्यान में रखकर चलती है कि ”दोस्त बदले जा सकते हैं लेकिन हम पड़ोसी नहीं बदल सकते।Ó गृह मंत्री ने साथ ही सदस्यों से कहा कि हर चीज को जाति , धर्म या पंथ से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार शत्रु संपत्तियों का सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि जब किसी देश का साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और ”शत्रु संपत्ति : संशोधन एवं विधिमान्यकरण : विधेयक 2010 ÓÓ को 1962 के भारत चीन युद्ध , 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए। उपरोक्त युद्धों की पृष्ठभूमि में अपनी पुश्तैनी संपत्ति को छोड़कर शत्रु देश में चले जाने वाले पाकिस्तानी और चीनी नागरिकों के संबंध में लाए गए इस विधेयक के संबंध में राजनाथ ने कहा कि यह देश का मुद्दा है किसी मजहब का नहीं। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान जाने वाले अलग अलग मजहबों से थे, इसलिए इसे किसी मजहब की नजर ने कतई नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने चर्चा में हिस्सा लेने वाले सदस्यों की आशंकाओं का निराकरण करते हुए कहा कि यह कानून उत्तराधिकार कानून या किसी अन्य कानून पर लागू नहीं होगा। विधेयक को संसद की स्थाई समिति के पास भेजने की मांग और विपक्षी सदस्यों के कुछ संशोधनों को खारिज करते हुए लोकसभा ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कानून पाकिस्तान और चीन सहित दुनिया के कई अन्य देशों में पहले से लागू है।