नई दिल्ली । दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ में कथित ”कदाचारों एवं अनियमितताओं की जांच के लिए जांच आयोग गठित करने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में आज एक जनहित याचिका दायर की गई। याचिका मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ के समक्ष आज सूचीबद्ध हुई। केन्द्र ने याचिकाकर्ता के औचित्य का सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आज दोहराया कि दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन डीडीसीए में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए आप सरकार द्वारा गठित जांच आयोग काम करना ”जारी रखेगा। दूसरी ओर, डीडीसीए के कामकाज और वित्तीय मामलों के संबंध में कथित टिप्पणियों को लेकर क्रिकेट संस्था द्वारा दायर दीवानी मानहानि मुकदमे की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद से जवाब तलब किया। केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि याचिका विचारार्थ स्वीकार करने योग्य नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता रमाकांत कुमार ने केन्द्र सरकार या डीडीसीए को पक्षकार नहीं बनाया है।
पीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह केन्द्र को याचिका की एक प्रति प्रदान करे और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख मुकर्रर कर दी।
याचिका में दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की 22 दिसंबर 2015 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है जिसके तहत डीडीसीए में 1992 से 2015 के बीच कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए पूर्व सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रहमण्यम की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया है।
अधिसूचना के तहत एक सदस्ईय आयोग। जनवरी 1992 और 30 नवंबर 2015 के बीच डीडीसीए और उसके पदाधिकारियों की ओर से की गई किसी कदाचार के कृत्यों की जांच करेगा
याचिका में दावा किया गया है कि आप सरकार का फैसला ”असंवैधानिक, अवैध और अधिकारक्षेत्र के बाहर का है क्योंकि उसके लिए उप राज्यपाल की मंजूरी नहीं ली गई है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 7 जनवरी को दिल्ली सरकार की 22 दिसंबर की अधिसूचना को असंवैधानिक और अवैध करार दिया था। उसने आयोग को भी रद्द कर दिया था।