हैदराबाद । दबाव के आगे झुकते हुए हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) ने आज उन चार दलित छात्रों का निलंबन वापस ले लिया जिन्हें 17 जनवरी को खुदकुशी कर लेेने वाले पीएचडी छात्र रोहित वेमुला चक्रवर्ती के साथ निलंबित किया गया था।
नाटकीय घटनाक्रमों से भरे दिन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाले विश्वविद्यालय के 13 शिक्षकों ने अपने प्रशासनिक पदों को छोडऩे की घोषणा की। इन शिक्षकों ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन करते हुए इस्तीफे की धमकी दी थी। विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में चारों शोधार्थियों का निलंबन वापस लेने का फैसला किया गया। रोहित की खुदकुशी के मुद्दे पर आज राजनीति और गरमा गई। देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में चल रहे प्रदर्शन से समर्थन पाकर प्रदर्शनकारी छात्रों ने इंसाफ की खातिर अपनी मुहिम तेज करने का इरादा जाहिर किया। विश्वविद्यालय ने यहां एक बयान में कहा, ”विश्वविद्यालय में कायम असाधारण हालात को देखते हुए और इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने के बाद परिषद ने संबंधित छात्रों को दी गई सजा तत्काल प्रभाव से खत्म करने का फैसला किया है।ÓÓ पिछले साल सितंबर में विश्वविद्यालय ने रोहित सहित पांच छात्रों को छह महीने (पूरे सेमेस्टर) के लिए निलंबित कर दिया था। उन पर अगस्त में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेता सुशील कुमार पर हमले का आरोप था। इन छात्रों का निलंबन हालांकि बाद में वापस ले लिया गया। बहरहाल, दिसंबर में उन्हें कक्षा में आने की अनुमति देते हुए विश्वविद्यालय ने उन्हें छात्रावास में दाखिल होने से मना कर दिया था। एक संयुक्त कार्य समिति के बैनर तले पांचों शोधार्थियों ने :कक्षा और अध्ययन से जुड़े विषय की कार्यशालाओं को छोड़कर: छात्रावास से अपने ”निष्कासनÓÓ को ”अलोकतांत्रिकÓÓ और ”सामाजिक बहिष्कारÓÓ करार दिया था।