नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवल ने प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन में मनमानी रोकने के लिए कड़ा फैसला लिया है। केजरीवाल ने नर्सरी एडमिशन में मैनेजमेंट कोटे को खत्म करने का एलान किया है। दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है कि नर्सरी एडमिशन में सिर्फ ईडब्लूएस कोटे के अलावा कोई कोटा नहीं होगा।
इसका मतलब साफ हुआ कि स्कूलों में 75 फीसदी सीटें आम बच्चों के लिए और शेष 25 फीसदी सीटें ही आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित होंगी। केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने इसकी जानकारी दी।
इसका मतलब साफ हुआ कि स्कूलों में 75 फीसदी सीटें आम बच्चों के लिए और शेष 25 फीसदी सीटें ही आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित होंगी। केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने इसकी जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलों को एडमिशन प्रक्रिया पारदर्शी बनानी होगी। शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों की मनमानी पर सख्त रवैया अपनाया है। मैनेजमेंट कोटे के साथ सिबलिंग, एल्युमनी, गर्ल चाइल्ड व अन्य किसी तरह का कोटा रद्द कर दिया है। कुल 62 बिंदुओं पर निर्देश दिए गए हैं जिन पर स्कूल मनमानी तरीके से आवेदन कर रहे हैं।
उधर, कोटा समाप्त करने के आदेश पर स्कूल संघ ने नाराजगी जाहिर की है। नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस (स्कूल संघ) के अध्यक्ष ने कहा कि मैनेजमेंट कोटा समाप्त किया जाना स्कूलों की स्वायत्ता पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने इस मसले पर हमें अधिकार दिया था। बाद में दिल्ली सरकार ने सिंगल बैंच के फैसले को चुनौती दी थी।
स्कूल संघ का कहना है कि चूंकि मामला डबल बैंच के पास विचाराधीन है इसलिए सरकार को इस तरह के निर्देश नहीं देने चाहिए थे। बहरहाल, सैकड़ों स्कूल सिबलिंग और एल्युमनी में भी सीटें आरक्षित कर चुके थे। निदेशालय ने इस कोटे को भी समाप्त किया है। ईडब्ल्यूएस के अलावा और कोई कोटा नहीं होगा। यह 25 फीसदी सीटों का कोटा है। 75 फीसदी सीटों पर सामान्य वर्ग के लिए खुले दाखिले होंगे।
बता दें कि 65 बिंदुओं को उठाते हुए सरकार ने कहा है कि बस सुविधा लेने के अभिभावकों को मजबूर नहीं कर सकते। इस सुविधा को लेना या न लेना, अभिभावकों पर निर्भर है। यही नहीं, माता-पिता में से कौन कमाने वाला है या कौन नहीं, या फिर दोनों कमाते हैं या नहीं, ऐसे तथ्यों का दाखिले से कोई लेना-देना नहीं है। इसके आधार पर सीट नहीं दी जा सकती।
उधर, कोटा समाप्त करने के आदेश पर स्कूल संघ ने नाराजगी जाहिर की है। नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस (स्कूल संघ) के अध्यक्ष ने कहा कि मैनेजमेंट कोटा समाप्त किया जाना स्कूलों की स्वायत्ता पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने इस मसले पर हमें अधिकार दिया था। बाद में दिल्ली सरकार ने सिंगल बैंच के फैसले को चुनौती दी थी।
स्कूल संघ का कहना है कि चूंकि मामला डबल बैंच के पास विचाराधीन है इसलिए सरकार को इस तरह के निर्देश नहीं देने चाहिए थे। बहरहाल, सैकड़ों स्कूल सिबलिंग और एल्युमनी में भी सीटें आरक्षित कर चुके थे। निदेशालय ने इस कोटे को भी समाप्त किया है। ईडब्ल्यूएस के अलावा और कोई कोटा नहीं होगा। यह 25 फीसदी सीटों का कोटा है। 75 फीसदी सीटों पर सामान्य वर्ग के लिए खुले दाखिले होंगे।
बता दें कि 65 बिंदुओं को उठाते हुए सरकार ने कहा है कि बस सुविधा लेने के अभिभावकों को मजबूर नहीं कर सकते। इस सुविधा को लेना या न लेना, अभिभावकों पर निर्भर है। यही नहीं, माता-पिता में से कौन कमाने वाला है या कौन नहीं, या फिर दोनों कमाते हैं या नहीं, ऐसे तथ्यों का दाखिले से कोई लेना-देना नहीं है। इसके आधार पर सीट नहीं दी जा सकती।